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दक्षिणी छोटानागपुर

Pragya Kendra Services to be Offered at Online LAMPS and PACS in Jharkhand

Jharkhand’s Chief Secretary Alka Tiwari directed that Pragya Kendra services be offered at online LAMPS and PACS. 1,270 LAMPS-PACS have gone online, with more planned.

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Ranchi : Jharkhand’s Chief Secretary, Alka Tiwari, chaired a meeting of the State Cooperative Development Committee on Monday. During the meeting, she was informed that 1,270 LAMPS (Large Area Multipurpose Cooperative Societies) and PACS (Primary Agricultural Cooperative Societies) in the state have gone online. She directed officials to begin offering Pragya Kendra services at these online centers. Tiwari emphasized that cooperative development plans should be designed in accordance with the state’s resources and the needs of the maximum number of people. She also discussed the opening of cooperative bank branches in some districts, advising that banks should first strengthen their position before expanding.

1,270 LAMPS-PACS Now Online

The meeting highlighted that 1,270 of the state’s 1,500 selected LAMPS-PACS have been computerized and are now online. The goal is to computerize the remaining 230 societies by March 31. A proposal has been sent to the Government of India for the computerization of the remaining 2,949 LAMPS-PACS. For those already online, Pragya Kendra services will be provided, and the committee will be given access to the Jharseva login ID.

13 Lakh Quintals of Rice Purchased

It was also reported that 1,306,356.33 quintals of rice had been purchased from 724 procurement centers as of January 25, 2025. Considering the limited time for the purchase period, efforts are being made to activate the remaining 75 centers to meet the purchase target. In the financial year 2024-25, 65 out of 100 primary dairy cooperative societies have been registered, while 37 more are in the process.

Fish Production Reaches 2.57 Lakh Tons

For the financial year 2023-24, the target for fish production was set at 3 lakh tons, of which 2.57 lakh tons have already been produced. The production in 2022-23 was 2.80 lakh tons. Under the Amrit Sarovar Mission, efforts are underway to form fisheries cooperative societies in each district around newly developed ponds, with 33 out of 50 targeted primary fishery cooperative societies already formed.

Other Key Issues Discussed

The meeting also discussed several other topics, including warehouse construction, providing rooms to LAMPS-PACS, gas distribution, opening retail petrol and diesel outlets, establishing Jan Aushadhi Kendras in various districts, fertilizer licensing, developing LAMPS-PACS as PM Kisan Samriddhi Kendras, and transforming the newly built Cooperative Training Institute into an Institute of Cooperative Management in Jharkhand.

The meeting was attended by Agriculture Secretary Abu Bakr Siddique, Finance Secretary Prashant Kumar, Revenue Secretary Chandrashekhar, Rural Development Secretary K. Srinivasan, and Registrar of Cooperative Societies Suraj Kumar, among other officials.

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राँची

मौखिक स्वास्थ्य दिवस पर सदर अस्पताल रांची में कार्यक्रम

सदर अस्पताल, रांची में विश्व मौखिक स्वास्थ्य दिवस पर संगोष्ठी व प्रभात फेरी आयोजित, दंत स्वास्थ्य जागरूकता पर जोर, स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण उपाय बताए गए।

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रांची: जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त, रांची श्री मंजूनाथ भजन्त्री के निर्देशानुसार सदर अस्पताल रांची में विश्व मौखिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर संगोष्ठी सह प्रभात फेरी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जनसाधारण को मौखिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना था।

कार्यक्रम का आयोजन सिविल सर्जन रांची डॉ. प्रभात कुमार एवं जिला नोडल पदाधिकारी, एनसीडी सेल, रांची डॉ. सीमा गुप्ता के निर्देश पर किया गया। सदर अस्पताल रांची के दंत चिकित्सा पदाधिकारी, डॉ. रवि राज ने बताया कि स्वस्थ जीवन के लिए मौखिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि दांतों और मसूड़ों की सही देखभाल न करने से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, इसलिए नियमित जांच और देखभाल जरूरी है।

विश्व मौखिक स्वास्थ्य दिवस 2025 की थीम

इस वर्ष वर्ल्ड ओरल हेल्थ डे की थीम “A Happy Mouth is… A Happy Mind” रखी गई है, जो इस बात पर जोर देती है कि मौखिक और शारीरिक स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं। कार्यक्रम में मौखिक स्वच्छता से जुड़े कई विषयों पर चर्चा की गई, जिसमें दंत क्षय (कैविटी), सही ब्रशिंग तकनीक, फ्लॉसिंग और माउथवॉश का उपयोग, तंबाकू और धूम्रपान से बचाव तथा दंत कैंसर की जांच का महत्व शामिल था।

दांतों की सड़न रोकने के उपाय

विशेषज्ञों ने दांतों की बीमारियों से बचाव के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए:

  • ✔ कम चीनी वाला आहार अपनाएं
  • ✔ दिन में दो बार ब्रश करें, अधिमानतः भोजन के बाद
  • ✔ फ्लोराइड युक्त माउथवॉश का प्रयोग करें
  • ✔ हर साल दंत जांच कराएं
  • ✔ धूम्रपान और तंबाकू से परहेज करें

कार्यक्रम में रही विशेष भागीदारी

इस अवसर पर जिला आरसीएच पदाधिकारी डॉ. असीम कुमार मांझी, डीपीएम रांची श्री प्रवीण कुमार सिंह, दंत चिकित्सक डॉ. सुधा सिंह, डॉ. कुमारी सुषमा, श्री सरोज कुमार चौधरी (एफएलसी, एनसीडी), श्री अभिषेक कुमार देव (एनसीडी सेल, रांची) समेत एनएमटीसी नर्सिंग कॉलेज की छात्राएं भी उपस्थित रहीं।

इस आयोजन के माध्यम से मौखिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का संदेश दिया गया।

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राँची

स्वास्थ्य बीमा योजना में भाजपा ने गिनाईं खामियां

झारखंड सरकार की कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना पर भाजपा ने उठाए सवाल, अजय साह ने खामियों को गिनाते हुए कहा- सरकार कर्मचारियों के हितों की अनदेखी कर रही है।

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रांची: झारखंड सरकार द्वारा लागू की गई कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर राज्य के सरकारी कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने इस योजना की कड़ी आलोचना करते हुए इसे अव्यवस्थित और त्रुटिपूर्ण बताया है। उन्होंने सरकार पर कर्मचारियों के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया और मांग की कि योजना की खामियों को तुरंत दूर किया जाए।

योजना लागू होने से पहले पुरानी व्यवस्था खत्म, कर्मचारी परेशान

अजय साह ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि “सरकार ने पहले से चल रही मेडिकल रीइंबर्समेंट योजना को बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के समाप्त कर दिया, जिससे हजारों कर्मचारी चिकित्सा सुविधाओं से वंचित हो गए हैं।” उन्होंने कहा कि यह सरकार की लापरवाही को दर्शाता है, क्योंकि नए सिस्टम के तहत अब तक अधिकांश कर्मचारियों को हेल्थ कार्ड तक नहीं मिला है।

20 दिन में सिर्फ 2,000 हेल्थ कार्ड जारी, 1.6 लाख कर्मचारी वंचित

भाजपा प्रवक्ता ने बताया कि योजना लागू होने के 20 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक केवल 2,000 कर्मचारियों के हेल्थ कार्ड ही बनाए गए हैं, जबकि झारखंड में 1.6 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी इस योजना के दायरे में आते हैं। इसके बावजूद सरकार ने पुरानी चिकित्सा सुविधाएं खत्म कर दीं, जिससे कर्मचारी इलाज के लिए भटकने को मजबूर हो गए हैं।

प्रमुख अस्पताल सूची से बाहर, गंभीर बीमारियों के इलाज पर संकट

अजय साह ने योजना में सूचीबद्ध अस्पतालों की सूची पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “मेडिका और मेदांता जैसे बड़े अस्पताल योजना में शामिल नहीं किए गए हैं, जबकि गंभीर बीमारियों के लिए आमतौर पर लोग इन्हीं अस्पतालों पर निर्भर रहते हैं।” उन्होंने सरकार से यह सवाल किया कि जब यह दावा किया गया था कि देशभर के अस्पतालों में इलाज संभव होगा, तो फिर राज्य के ही प्रमुख अस्पताल इसमें क्यों नहीं हैं?

कर्मचारियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ, सरकार वाहवाही लूट रही

अजय साह ने इस योजना के वित्तीय पहलुओं पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “राज्य सरकार इस योजना को अपनी उपलब्धि बताकर प्रचार कर रही है, लेकिन इसका खर्च कर्मचारियों पर डाल दिया गया है।” उन्होंने बताया कि सरकारी कर्मचारियों से ₹500 प्रीमियम वसूला जा रहा है, जबकि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना में यह प्रीमियम सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

मार्च का प्रीमियम किस आधार पर दिया गया? भाजपा ने उठाए सवाल

भाजपा प्रवक्ता ने यह भी सवाल किया कि जब अब तक 99% कर्मचारियों के हेल्थ कार्ड ही नहीं बने हैं, तो फिर सरकार ने मार्च का प्रीमियम इंश्योरेंस कंपनी को किस आधार पर भुगतान किया? उन्होंने इसे एक बड़ी गड़बड़ी बताते हुए सरकार से जवाब मांगा।

सरकार से खामियां दूर करने की मांग

अजय साह ने झारखंड सरकार से मांग की है कि योजना की खामियों को जल्द से जल्द दूर किया जाए और कर्मचारियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो भाजपा इस मुद्दे को और मजबूती से उठाएगी।

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राँची

झारखंड सरकार की तत्परता से रूस से प्रवासी श्रमिक का पार्थिव शरीर स्वदेश लौटा

झारखंड सरकार की त्वरित कार्रवाई से रूस में मृत प्रवासी श्रमिक रवि कुमार चौधरी का पार्थिव शरीर स्वदेश लाया गया, परिवार को मिली राहत।

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रांची: झारखंड सरकार के श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग की सक्रियता के चलते रूस में कार्यरत झारखंड के प्रवासी श्रमिक रवि कुमार चौधरी के पार्थिव शरीर को स्वदेश लाया गया। स्वर्गीय रवि कुमार रूस की ओओओ एलइव्ही स्टोरी जो इस्टा कंस्ट्रक्शन कंपनी के कॉरपोरेट पार्टनर में स्टील फिक्सर के रूप में कार्यरत थे। उनकी मृत्यु की सूचना उनके पिता सच्चिदानंद चौधरी द्वारा राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को दी गई, जिसके बाद सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी कर पार्थिव शरीर को वापस लाने का इंतजाम किया।

सरकार ने उठाए आवश्यक कदम

राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रोटेक्टर ऑफ एमिग्रेंट (POE) से संपर्क किया और भारतीय दूतावास, मास्को के सेकंड सेक्रेटरी (कांसुलर) से समन्वय स्थापित किया। इसके बाद, कंपनी ने पार्थिव शरीर को स्वदेश भेजने की प्रक्रिया तेज की और भारतीय दूतावास ने आवश्यक दस्तावेजीकरण पूरा कर एनओसी जारी की।

स्वर्गीय रवि कुमार चौधरी का पार्थिव शरीर फ्लाइट संख्या एसयू 232 के माध्यम से 19 मार्च को मास्को से दिल्ली रवाना हुआ और 20 मार्च को दिल्ली पहुंचा। इसके बाद गढ़वा के उपायुक्त ने विभागीय समन्वय स्थापित कर शव को उनके गृहनगर पहुंचाने की व्यवस्था की।

सरकार की त्वरित पहल सराहनीय

इस घटनाक्रम के दौरान झारखंड सरकार की त्वरित सक्रियता और राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष की तत्परता से मृतक के परिवार को राहत मिली। झारखंड सरकार ने प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करने की प्रतिबद्धता दोहराई है।

➡ अगर कोई प्रवासी श्रमिक विदेश में किसी आपात स्थिति में है, तो वह राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष से संपर्क कर सकता है।

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राँची

मयंक सिंह को अज़रबैजान से जल्द लाएगी झारखंड पुलिस

झारखंड पुलिस कुख्यात अपराधी मयंक सिंह को अज़रबैजान से लाने की तैयारी में, संगठित अपराध पर बड़ी कार्रवाई की उम्मीद। जल्द होगी भारत वापसी।

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रांची: झारखंड पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। राज्य का सबसे वांछित अपराधी मयंक सिंह उर्फ सुनील मीणा जल्द ही अज़रबैजान से भारत लाया जाएगा। वह फिलहाल बाकू जेल में बंद है, और उसकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को मंजूरी मिल गई है।

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने पुष्टि की कि केंद्रीय एजेंसियों की मदद से पुलिस ने सभी कानूनी औपचारिकताएँ पूरी कर ली हैं। झारखंड एटीएस ने इंटरपोल के माध्यम से पुख्ता सबूत पेश किए, जिसके आधार पर अज़रबैजान की अदालत ने मयंक को कुख्यात अपराधी मानते हुए प्रत्यर्पण की मंजूरी दी। पहले निचली अदालत और बाद में उच्च न्यायालय ने भी इस फैसले को बरकरार रखा।

जल्द ही झारखंड एटीएस के एसपी के नेतृत्व में एक पुलिस टीम अज़रबैजान जाएगी और मयंक को भारत लाकर अदालत में पेश करेगी। इस मिशन के लिए राज्य सरकार की अंतिम स्वीकृति का इंतजार है, लेकिन प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।

अज़रबैजान के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि इस मामले में अहम साबित हुई है। पुलिस इस सफलता को अंतरराष्ट्रीय अपराधियों पर शिकंजा कसने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मान रही है। अधिकारियों का मानना है कि मयंक की वापसी झारखंड पुलिस के अलावा अन्य राज्यों की पुलिस को भी संगठित अपराध के खिलाफ कार्रवाई में मदद करेगी।

मयंक का संबंध कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू से था, जो हाल ही में एक पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। मयंक उसकी वित्तीय और हथियारों की आपूर्ति प्रणाली संभालता था। पुलिस को उम्मीद है कि उसकी पूछताछ से अमन के नेटवर्क पर और बड़ी कार्रवाई संभव हो सकेगी।

राजस्थान का रहने वाला मयंक, झारखंड का पहला ऐसा अपराधी है जिसे विदेश में गिरफ्तार कर प्रत्यर्पित किया जा रहा है। उसने सोशल मीडिया पर अपनी आलीशान जिंदगी और आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन कर कुख्याति हासिल की थी। झारखंड पुलिस की कड़ी मशक्कत के बाद पिछले साल उसे बाकू में गिरफ्तार किया गया था।

लंबे समय तक पुलिस को मयंक की असली पहचान नहीं पता थी। बाद में एटीएस ने खुलासा किया कि वह वास्तव में राजस्थान का सुनील मीणा है, जो झारखंड में अपराधों को अंजाम देकर विदेश में रह रहा था। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था, जिसके बाद अज़रबैजान में उसकी गिरफ्तारी हुई।

मयंक का आपराधिक इतिहास लंबा है। वह कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस का बचपन का दोस्त था और पिछले दो वर्षों से अमन साहू के साथ मिलकर झारखंड में रंगदारी और अपराधों को मलेशिया से नियंत्रित कर रहा था। वह इंटरनेट कॉल के जरिए व्यापारियों को धमकाता था और सोशल मीडिया पर खुलेआम अपने गिरोह के बारे में प्रचार करता था।

झारखंड एटीएस ने उसके खिलाफ कई थानों में मामले दर्ज किए हैं। उसकी पहचान की पुष्टि होने के बाद, पुलिस ने राजस्थान स्थित उसके घर पर नोटिस चिपकाए, उसकी अवैध संपत्तियों की जांच की और उन्हें जब्त कर लिया। उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया और उसे गिरफ्तार करने के लिए सख्त कानूनी कदम उठाए गए।

अब, प्रत्यर्पण को मंजूरी मिलने के बाद, झारखंड पुलिस मयंक को जल्द ही भारत लाकर अदालत में पेश करेगी। यह संगठित अपराध के खिलाफ एक बड़ी जीत मानी जा रही है।

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राँची

झामुमो-कांग्रेस में भाजपा ने लगाई सेंध, सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने थामा पार्टी का दामन

झारखंड में भाजपा को बड़ी सफलता मिली है। झामुमो और कांग्रेस छोड़कर सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह बोले— भाजपा ही सर्वसमावेशी पार्टी है।

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रांची। भाजपा के सदस्यता अभियान को झारखंड में बड़ी सफलता मिली है। नागेश्वर पासवान के नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने आज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण की। भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रदेश सदस्यता प्रभारी एवं उपाध्यक्ष राकेश प्रसाद ने ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से सभी नए सदस्यों को भाजपा परिवार का हिस्सा बनाया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह ने कहा कि भाजपा ही एकमात्र पार्टी है जो भारत के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित है। पार्टी के हर कार्यकर्ता में राष्ट्र प्रथम की भावना कूट-कूट कर भरी है, और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के मिशन में जुटे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि “आज मोदी सरकार की नीतियों से प्रेरित होकर देश के हर वर्ग के लोग भाजपा से जुड़ रहे हैं। भाजपा ही अंत्योदय के संकल्प के साथ ‘विकसित भारत’ के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रही है।”

भाजपा बनी सर्वसमावेशी पार्टी

प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह ने कहा कि भाजपा जाति-धर्म और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी पार्टी बन गई है। उन्होंने कहा कि पार्टी की नीति सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की भावना पर आधारित है, जिससे हर वर्ग को समान अवसर मिल रहा है।

प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश प्रसाद ने कहा कि भाजपा सिर्फ देश की ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी है। उन्होंने नए कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि अब वे एक ऐसी पार्टी का हिस्सा बन चुके हैं, जो भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए कार्य कर रही है।

कई दिग्गज नेता रहे मौजूद

इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष बालमुकुंद सहाय, आरती कुजूर, राफिया नाज और अनिल टाइगर सहित कई वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान भाजपा में शामिल हुए कार्यकर्ताओं ने पार्टी की विचारधारा और नेतृत्व में अपना विश्वास जताया और पार्टी को मजबूत करने का संकल्प लिया।

भाजपा में शामिल होने वालों ने क्या कहा?

भाजपा में शामिल होने वाले कार्यकर्ताओं ने कहा कि झामुमो और कांग्रेस की नीतियों से वे असंतुष्ट थे। भाजपा की राष्ट्रवादी सोच, विकास कार्यों और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व ने उन्हें आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि अब वे झारखंड में भाजपा को और मजबूत करने के लिए पूरी निष्ठा से कार्य करेंगे।

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राँची

विधानसभा में सरना स्थल आंदोलन और पॉलिटेक्निक कॉलेज की मान्यता पर बहस

झारखंड विधानसभा में सिरमटोली सरना स्थल आंदोलन और पॉलिटेक्निक कॉलेजों की मान्यता का मुद्दा उठा। सीएम हेमंत सोरेन ने जवाब देते हुए आश्वासन दिया कि सरहुल पर्व सुचारू रूप से मनाया जाएगा और पॉलिटेक्निक कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया जारी है।

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रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सिरमटोली सरना स्थल आंदोलन और पॉलिटेक्निक कॉलेजों की मान्यता का मामला जोरशोर से उठा। इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। भाजपा विधायक सीपी सिंह ने सिरमटोली सरना स्थल आंदोलन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि फ्लाईओवर के रैंप के कारण सरहुल शोभायात्रा प्रभावित हो सकती है, इसलिए इस मामले में सरकार को तत्काल समाधान निकालना चाहिए।

सरहुल धूमधाम से मनेगा – सीएम हेमंत सोरेन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि उन्हें सामाजिक संगठनों से पूरे मामले की जानकारी मिली है और लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने आश्वस्त किया कि “सरहुल मनेगा और बढ़िया से मनेगा।” बता दें कि सिरमटोली-मेकॉन फ्लाईओवर के रैंप से पूजा स्थल की गतिविधियां प्रभावित होने की आशंका को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इसी क्रम में सोमवार को केंद्रीय सरना स्थल सिरमटोली बचाव मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री और विधायकों के पुतले जलाए थे।

पॉलिटेक्निक कॉलेजों की मान्यता पर भी गरमाई बहस

झामुमो विधायक जिगा सुसारन होरो ने अपने विधानसभा क्षेत्र में बने पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थिति को लेकर सरकार से सवाल किया। उन्होंने पूछा कि कॉलेज को कब तक अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) से मान्यता मिलेगी और 2025-26 के सत्र की पढ़ाई कब से शुरू होगी।

तकनीकी शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने कॉलेज संचालन के लिए प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति कर दी है। जैसे ही AICTE का अप्रूवल मिलेगा, पठन-पाठन शुरू कर दिया जाएगा। अगर 2025-26 के सत्र की शुरुआत से पहले मान्यता मिल जाती है, तो उसी सत्र में पढ़ाई शुरू होगी, अन्यथा इसे 2027-28 तक टालना पड़ेगा।

नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर कसा तंज

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर विपक्ष से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि केंद्र सरकार पर भी जवाबदेही बनती है। उन्होंने सुझाव दिया कि विपक्षी सांसद केंद्र सरकार से बातचीत कर कॉलेज को जल्द मान्यता दिलाने में सहयोग करें।

इस पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने जवाब देते हुए कहा कि AICTE एक स्वतंत्र संस्था है और यह मामला 2022 से लंबित है। उन्होंने राज्य सरकार पर ढिलाई का आरोप लगाते हुए कहा कि “अगर सही प्रयास किए जाते तो यह मामला अब तक सुलझ चुका होता।”

मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 1,700 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, लेकिन यूजीसी और AICTE जैसी स्वतंत्र संस्थाओं की नीतियां अक्सर राज्य सरकारों और स्थानीय छात्रों के खिलाफ जाती हैं। सरकार द्वारा AICTE को भेजे गए पत्रों की प्रतियां नेता प्रतिपक्ष और संबंधित विधायक को मुहैया कराई जाएंगी।

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राँची

राज्यपाल गंगवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की मुलाकात, विकास के मुद्दों पर चर्चा

झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। बैठक में राज्य के विकास और विधि-व्यवस्था से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई।

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रांची: झारखंड के माननीय राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार ने आज नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान राज्यपाल ने झारखंड में विकास कार्यों और विधि-व्यवस्था से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की।

मुलाकात के दौरान राज भवन, रांची द्वारा प्रकाशित ‘राज भवन पत्रिका’ की प्रति भी राज्यपाल ने प्रधानमंत्री को भेंट की। यह पत्रिका 31 जुलाई 2024 से 31 जनवरी 2025 के बीच राज भवन, झारखंड की विभिन्न गतिविधियों पर आधारित है।

बैठक के दौरान राज्यपाल ने झारखंड में शासन, विकास योजनाओं और प्रशासनिक सुधारों को लेकर चर्चा की। उन्होंने केंद्र सरकार से झारखंड के विकास को और गति देने के लिए सहयोग की अपेक्षा जताई।

यह मुलाकात झारखंड के विकास और प्रशासनिक सुधारों के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जिससे राज्य में विभिन्न योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर नई संभावनाएं खुल सकती हैं।

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गिरिडीह

गिरिडीह हिंसा: विधानसभा में हंगामा, बढ़ा राजनीतिक तनाव

होली के दिन गिरिडीह में हुई हिंसा झारखंड की राजनीति में बड़ा विवाद बन गई है। विधानसभा में इस मुद्दे पर तीखी बहस हुई, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए। पूरी रिपोर्ट पढ़ें।

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रांची: होली के दिन गिरिडीह में हुई हिंसा अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई है। मंगलवार को बजट सत्र के दौरान यह मामला विधानसभा में उठाया गया, जिससे सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। प्रश्नकाल शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा की मांग की, जिससे सदन में हंगामा हो गया। माहौल बिगड़ता देख स्पीकर को कार्यवाही कुछ देर के लिए रोकनी पड़ी।

होली की छुट्टी के बाद विधानसभा की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, लेकिन गिरिडीह हिंसा की चर्चा हावी हो गई। बाबूलाल मरांडी ने धनवार थाना क्षेत्र के घोड़थंबा इलाके की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि होली खेल रहे युवकों को पुलिस ने रोका, जिससे झड़प हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि इसके बाद दूसरे पक्ष के लोगों ने पेट्रोल बम और पत्थरों से हमला किया। कई दुकानों और गाड़ियों में आग लगा दी गई, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही।

मरांडी ने पुलिस पर पक्षपात करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने दोनों पक्षों के 40-40 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया और 11-11 लोगों को गिरफ्तार किया। उन्होंने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि निर्दोष लोगों को रात में घरों से उठाकर गिरफ्तार किया जा रहा है और इस पर विशेष चर्चा होनी चाहिए।

संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ऐसे संवेदनशील मामलों पर गृह विभाग के बजट सत्र के दौरान चर्चा की जानी चाहिए, न कि राजनीति की जानी चाहिए। वहीं, मंत्री सुदिव्या कुमार सोनू ने कहा कि हिंसा को एकतरफा तरीके से दिखाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने संयम से काम लिया, लेकिन जुलूस में कुछ असामाजिक तत्वों ने माहौल बिगाड़ दिया।

कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने हिंसा की निंदा की और कहा कि गिरिडीह में जानबूझकर माहौल खराब किया गया, जबकि झारखंड के बाकी हिस्सों में शांति बनी रही। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कुछ जगहों पर एकरा मस्जिद और बजरंग दल के लोगों ने मिलकर होली खेली, जिससे झारखंड की आपसी भाईचारे की परंपरा का पता चलता है।

राज्य मंत्री इरफान अंसारी ने भाजपा पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने विधानसभा परिसर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस घटना के पीछे भाजपा नेताओं का हाथ है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की गिरिडीह यात्रा पर सवाल उठाया और कहा कि उनका दौरा माहौल बिगाड़ने के लिए किया गया था। अंसारी ने भाजपा को चेतावनी दी कि वे झारखंड की शांति भंग न करें और कहा कि हेमंत सोरेन सरकार राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

जैसे-जैसे बहस बढ़ी, भाजपा विधायकों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन के वेल में प्रवेश किया और कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहने के लिए सरकार को घेरा। गिरिडीह हिंसा अब झारखंड की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन चुकी है और आने वाले दिनों में इस पर और टकराव की संभावना है।

इस बीच, खोरीमहुआ के एसडीपीओ राजेंद्र प्रसाद ने जानकारी दी कि इस मामले में दोनों पक्षों के कुल 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

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राँची

झारखंड में पूर्ण रूप से PESA लागू करने की मांग तेज

झारखंड में आदिवासी कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार से PESA अधिनियम को पूरी तरह लागू करने की मांग की। झारखंड जनाधिकार महासभा ने JPRA में संशोधन और ग्राम सभा अधिकारों की सुरक्षा की जरूरत बताई।

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रांची: झारखंड में आदिवासी अधिकार कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार से पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 (PESA) को पूर्ण रूप से लागू करने की मांग की है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह अधिनियम आदिवासी स्वायत्तता और संसाधनों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। नागरिक अधिकार संगठनों के महासंघ झारखंड जनाधिकार महासभा ने राज्य सरकार से झारखंड पंचायती राज अधिनियम (JPRA) में संशोधन कर इसे PESA के अनुरूप बनाने की मांग की है, साथ ही सरकार द्वारा तैयार किए गए मसौदा नियमों में बदलाव का सुझाव भी दिया है।

रांची में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कार्यकर्ताओं ने जोर देकर कहा कि आदिवासी समुदायों की भूमि, सांस्कृतिक पहचान और पारंपरिक शासन संरचनाओं को लगातार खतरा बना हुआ है। उन्होंने सामुदायिक भूमि पर अतिक्रमण, ग्राम सभा की सहमति के बिना धार्मिक निर्माण, पुलिस कैंप की स्थापना, और वन अधिकारियों द्वारा कथित उत्पीड़न को गंभीर मुद्दे बताया। महासभा का मानना है कि यदि PESA को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो यह इन समस्याओं के खिलाफ कानूनी सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

PESA अधिनियम, जो अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए बनाया गया था, ग्राम सभाओं को महत्वपूर्ण निर्णय लेने की शक्ति देता है। लेकिन महासभा का कहना है कि झारखंड के वर्तमान पंचायती कानून इन अधिकारों को कमजोर करते हैं। JPRA में भूमि अधिग्रहण पर ग्राम सभा का नियंत्रण, लघु वनोपज पर स्वामित्व और सामुदायिक संसाधनों पर अधिकार जैसी महत्वपूर्ण प्रावधानों की कमी है। इसके अलावा, कार्यकर्ताओं ने ग्राम सभा की बैठकों के लिए मात्र एक-तिहाई उपस्थिति की अनिवार्यता पर भी सवाल उठाया, यह कहते हुए कि इससे सामूहिक निर्णय लेने की प्रक्रिया कमजोर होती है।

महासभा ने राज्य सरकार द्वारा तैयार किए गए PESA मसौदा नियमों की भी आलोचना की, यह कहते हुए कि ये PESA के मूल सिद्धांतों को प्रतिबिंबित नहीं करते। जबकि PESA अधिनियम ग्राम सभाओं को अवैध भूमि हस्तांतरण को रोकने और खोई हुई भूमि को पुनः प्राप्त करने का अधिकार देता है, झारखंड के मसौदा नियमों में अंतिम अधिकार जिला कलेक्टर को दिया गया है। महासभा ने यह भी कहा कि इन नियमों में आदिवासी सांस्कृतिक पहचान और आत्म-शासन को बाहरी दबावों से बचाने के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं है।

झारखंड की सत्ताधारी गठबंधन सरकार ने चुनावों के दौरान PESA को लागू करने का वादा किया था, और कुछ विधायक, जैसे झामुमो के हेमलाल मुर्मू, इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठा चुके हैं। लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार की ओर से इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। महासभा ने JPRA में तत्काल संशोधन, ग्राम सभाओं के लिए मजबूत कानूनी सुरक्षा और अधिकारियों के लिए PESA को प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु प्रशिक्षण की मांग की है।

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राँची

गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना: पहले ही साल 712 छात्रों को मिला शिक्षा ऋण

झारखंड की गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना ने पहले ही साल में 712 छात्रों को शिक्षा ऋण प्रदान किया, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा जारी रखने में मदद मिली। यह योजना ₹15 लाख तक का ऋण कम ब्याज दर पर उपलब्ध कराती है, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ हो सके।

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रांची: झारखंड में आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को उच्च शिक्षा का अवसर देने के लिए शुरू की गई गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना अपने पहले ही साल में सफल होती दिख रही है। अब तक 712 छात्रों को इस योजना के तहत शिक्षा ऋण मिल चुका है, जिससे वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। सरकार ने इस योजना के तहत कुल ₹70 करोड़ के ऋण स्वीकृत किए हैं।

राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने इसे “एक महत्वपूर्ण पहल” बताते हुए कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि झारखंड के किसी भी प्रतिभाशाली छात्र की पढ़ाई आर्थिक तंगी के कारण न रुके। उन्होंने कहा कि यह योजना न केवल छात्रों की मदद करेगी, बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था को भी मजबूत बनाएगी।

इस योजना के तहत उन छात्रों को ऋण दिया जाता है, जिन्हें देश के प्रतिष्ठित कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में दाखिला मिला है, लेकिन आर्थिक कारणों से आगे बढ़ने में कठिनाई हो रही है। योजना के तहत अधिकतम ₹15 लाख तक का ऋण केवल 4% ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है, जबकि ₹4 लाख तक के ऋण पर कोई ब्याज नहीं लिया जाता।

सरकार का लक्ष्य हर साल 1,500 छात्रों को इस योजना से जोड़ने का है। उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग ने इसके लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 में ₹10 करोड़ का बजट निर्धारित किया है, ताकि योजना का क्रियान्वयन सुचारु रूप से जारी रह सके।

योजना का लाभ उन्हीं छात्रों को मिलेगा, जिन्होंने झारखंड के किसी स्कूल से 10वीं या 12वीं की परीक्षा पास की है और किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज या विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया है। आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है और इसके लिए किसी गारंटी या संपत्ति की आवश्यकता नहीं है। इससे कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि वाले छात्रों को सीधा लाभ मिलेगा। इच्छुक छात्र https://gscc.jharkhand.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

ऋण चुकाने के लिए छात्रों को 15 साल तक का समय दिया गया है, जिससे उन पर वित्तीय दबाव कम होगा। इसके अलावा, यदि किसी छात्र ने पहले से किसी अन्य योजना के तहत शिक्षा ऋण लिया हुआ है, तो उसे भी इस योजना में स्थानांतरित किया जा सकता है।

पहले ही साल में योजना को मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया को देखते हुए सरकार को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में और अधिक छात्र इससे लाभान्वित होंगे। यह योजना झारखंड में उच्च शिक्षा को और अधिक सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।

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