राँची
‘आदि चित्रा एवं आदि बाजार’ का शुभारंभ, हस्तशिल्प और संस्कृति का संगम
रांची के आड्रे हाउस में ‘आदि चित्रा एवं आदि बाजार’ मेले का शुभारंभ हुआ। ट्राइफेड के इस आयोजन में जनजातीय कलाकारों को अपनी कला और उत्पादों को प्रदर्शित करने का अवसर मिला। मेला 6 से 12 मार्च 2025 तक चलेगा, जिसमें देशभर के हस्तशिल्प कारीगर भाग ले रहे हैं।
राँची: झारखंड की राजधानी रांची स्थित ऐतिहासिक आड्रे हाउस, कांके में आज ‘आदि चित्रा एवं आदि बाजार’ मेले का भव्य शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन माननीय पूर्व सांसद, राज्यसभा श्री समीर उरांव द्वारा किया गया। इस अवसर पर ट्राइफेड (TRIFED) झारखंड एवं बिहार के क्षेत्रीय प्रबंधक श्री शैलेंद्र कुमार राजू सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
इस प्रदर्शनी सह विक्रय मेले का आयोजन ट्राइफेड के क्षेत्रीय कार्यालय झारखंड एवं बिहार द्वारा किया गया है, जो 6 मार्च 2025 से 12 मार्च 2025 तक चलेगा। इस आयोजन में झारखंड सहित नॉर्थ ईस्ट, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के जनजातीय कलाकार और कारीगर भाग ले रहे हैं।
जनजातीय कारीगरों को मिलेगा नया मंच
‘आदि चित्रा एवं आदि बाजार’ का मुख्य उद्देश्य जनजातीय समाज के शिल्पकारों, हस्तशिल्प कलाकारों और पारंपरिक उत्पादकों को एक व्यापक बाजार उपलब्ध कराना है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत हो सके। इसके माध्यम से स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों को पहचान दिलाई जाएगी और देश-विदेश के बाजारों तक पहुँचाने की दिशा में कार्य किया जाएगा।
विभिन्न प्रदेशों की कला और संस्कृति का संगम
इस मेले में विभिन्न राज्यों की पारंपरिक हस्तशिल्प कलाओं की प्रदर्शनी और विक्रय के लिए स्टॉल लगाए गए हैं। इनमें बांस और लकड़ी से निर्मित उत्पाद, जूट और हेंडलूम वस्त्र, धातु शिल्प, लाख की चूड़ियाँ और अन्य परंपरागत जनजातीय उत्पाद शामिल हैं।
‘आदि चित्रा’ प्रदर्शनी के अंतर्गत देश के विभिन्न हिस्सों की पारंपरिक पेंटिंग्स जैसे सोहराय, कोहबर, सोरा, वर्ली और गोंड पेंटिंग्स का विशेष प्रदर्शन किया गया है। इस प्रदर्शनी में झारखंड के प्रसिद्ध कलाकार दिलेश्वर लोहरा सहित विभिन्न प्रदेशों के जनजातीय कलाकार भाग ले रहे हैं, जो अपनी अनूठी चित्रकला से दर्शकों को आकर्षित कर रहे हैं।
संस्कृति को संजोने और आत्मनिर्भरता की ओर कदम
यह मेला न केवल जनजातीय कलाकारों और कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त करेगा, बल्कि जनजातीय समाज की पारंपरिक विरासत को संरक्षित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सरकार और ट्राइफेड का यह प्रयास ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत जनजातीय समुदायों को सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
आगामी दिनों में इस मेले में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, लाइव डेमोंस्ट्रेशन और हस्तशिल्प कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जाएगा, जिससे लोगों को जनजातीय समाज की अनूठी कला और संस्कृति को करीब से समझने का अवसर मिलेगा।

