रामगढ़
रचिया महतो की मेहनत रंग लाई, झारखंड की स्ट्रॉबेरी हुई इंटरनेशनल
झारखंड के किसान की स्ट्रॉबेरी दुबई तक पहुंची, पीएम मोदी भी कर चुके हैं सम्मानित। रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड के रचिया महतो ने रचा इतिहास। स्ट्रॉबेरी के बाद अब कीवी की खेती की है तैयारी।
रामगढ़: झारखंड के रामगढ़ जिले का गोला प्रखंड अब कृषि नवाचारों के लिए जाना जाता है। यहां के किसान पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर नई संभावनाओं को तलाश रहे हैं। इसी कड़ी में सरलाकला गांव के रचिया महतो ने स्ट्रॉबेरी की खेती कर न सिर्फ स्थानीय बाजारों तक अपनी पहचान बनाई, बल्कि अपनी उपज को दुबई तक पहुंचाने में भी सफल रहे। उनकी स्ट्रॉबेरी की मांग रांची, बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर जैसे शहरों में तेजी से बढ़ रही है। कृषि के क्षेत्र में उनके प्रयासों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सराह चुके हैं।
सालों की मेहनत के बाद मिली सफलता
रचिया महतो ने पहली बार 2013 में महाराष्ट्र के जलगांव में स्ट्रॉबेरी की खेती को देखा और इससे प्रेरित होकर 2014 में अपने खेतों में ट्रायल किया। हालांकि, शुरुआती प्रयास असफल रहे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और 2024 में उद्यान विकास विभाग से मिले 20,000 मुफ्त पौधों को मल्चिंग विधि से लगाया। इस बार उनकी मेहनत रंग लाई, और आज उनकी स्ट्रॉबेरी विदेश तक पहुंच रही है।
दुबई में 375 रुपये किलो बिकी स्ट्रॉबेरी
रचिया महतो की स्ट्रॉबेरी की गुणवत्ता इतनी बेहतर रही कि इसकी मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार तक जा पहुंची। दुबई में यह 375 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकी, जबकि झारखंड में यह 130 से 150 रुपये प्रति किलो की दर से बेची जा रही है। उनकी इस सफलता से प्रेरित होकर गोला प्रखंड के 105 किसान भी स्ट्रॉबेरी की खेती में जुट गए हैं, जिनमें से 25 किसानों को उल्लेखनीय सफलता मिली है।
रोजगार के नए अवसर
रचिया महतो न केवल खुद खेती कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने अपने काम से अन्य ग्रामीणों को भी जोड़ा है। उनकी खेती में सुनीता देवी, कल्याणी कुमारी, रविता देवी, इशु देवी, सोनी कुमारी, सेवंती देवी, जुना देवी, नमिता देवी, घनश्याम महतो, प्रदीप महतो, सुरेश महतो, नरेश महतो, अक्षय महतो और बिंदेश्वर महतो जैसे एक दर्जन से अधिक लोग प्रत्यक्ष रूप से रोजगार पा रहे हैं। ये लोग स्ट्रॉबेरी तोड़ने से लेकर पैकिंग और मार्केटिंग तक में सहयोग कर रहे हैं।
अब कीवी की खेती की तैयारी
स्ट्रॉबेरी की सफलता के बाद अब रचिया महतो कीवी की खेती करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके अलावा, वे बेबीकॉर्न, ब्रॉकली, स्वीटकॉर्न और तरबूज जैसी फसलें भी उगा रहे हैं। उनका मानना है कि किसानों की असली समस्या खरीदारों की कमी और भंडारण सुविधाओं की अनुपलब्धता है। यदि सरकार कोल्ड स्टोरेज की सुविधा उपलब्ध कराए, तो झारखंड के किसानों की आय में बड़ा इजाफा हो सकता है।
झारखंड के किसानों के लिए प्रेरणा
रचिया महतो की यह कहानी झारखंड के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है। उनकी मेहनत और दूरदृष्टि ने यह साबित कर दिया है कि अगर सही तकनीक और मेहनत के साथ खेती की जाए, तो झारखंड के उत्पाद न केवल देशभर में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपनी जगह बना सकते हैं।
