
राँची
झारखंड में टिम्बर उद्योग के लाइसेंस नवीकरण पर व्यापारियों ने जताई नाराजगी
झारखंड के टिम्बर उद्योगों के लाइसेंस नवीकरण को लेकर व्यापारियों ने वन विभाग की नीति पर नाराजगी जताई। व्यापारियों ने 5 से 10 वर्षों के लिए लाइसेंस नवीकरण, साझेदारी विवाद समाधान और व्यापार विस्तार के लिए भूमि आवंटन की मांग की।
लाइसेंस नवीकरण की अवधि बढ़ाने और साझेदारी विवाद के समाधान की मांग
रांची: झारखंड में काष्ठ आधारित उद्योगों (टिम्बर इंडस्ट्री) के लिए लाइसेंस नवीकरण की अवधि बढ़ाने और व्यापारियों को पेश आ रही समस्याओं के समाधान को लेकर फॉरेस्ट एंड टिम्बर उप समिति की बैठक चैम्बर भवन में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता चैम्बर अध्यक्ष परेश गट्टानी ने की।
बैठक में मुख्य रूप से इस बात पर चर्चा हुई कि झारखंड में वन विभाग द्वारा सॉ मिलों के लाइसेंस का नवीकरण केवल एक कैलेंडर वर्ष के लिए किया जा रहा है, जबकि अन्य राज्यों में यही नवीकरण 5 से 10 वर्षों के लिए किया जा रहा है। व्यापारियों ने इस प्रक्रिया को अव्यावहारिक बताते हुए इसे बदलने की मांग की।
लाइसेंस नवीकरण में बदलाव की जरूरत
बैठक में कहा गया कि झारखंड सरकार का ही दूसरा विभाग, ‘कारखाना निरीक्षक’, उद्योगों को 10 वर्षों के लिए लाइसेंस का नवीकरण देता है। ऐसे में वन विभाग द्वारा सिर्फ एक वर्ष के लिए नवीकरण करना व्यापारियों के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर रहा है।
फॉरेस्ट एंड टिम्बर उप समिति के चेयरमैन तेजविंदर सिंह ने कहा कि साझेदारी (Partnership) में बदलाव व्यापार का सामान्य पहलू है, जिसे Partnership Act भी मान्यता देता है। लेकिन झारखंड वन विभाग साझेदार की मृत्यु या साझेदारी से हटने पर लाइसेंस रद्द कर देता है। इससे सॉ मिलों को बंद करने की नौबत आ जाती है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में ऐसी स्थिति में लाइसेंस नामांतरण की अनुमति दी जाती है, जिससे नामित व्यक्ति स्वतः अनुज्ञप्ति धारक बनकर सॉ मिल का संचालन कर सकता है। झारखंड में भी इस व्यवस्था को लागू करने की मांग की गई।
व्यापार विस्तार में भी आ रही दिक्कतें
बैठक में यह मुद्दा भी उठाया गया कि यदि किसी व्यवसायी का व्यापार बढ़ जाता है और उसे अतिरिक्त Band Saw या Trolley लगाने की आवश्यकता होती है, तो विभाग इसकी अनुमति देने से इनकार कर देता है। इससे व्यापार विस्तार में बाधा आती है और राज्य की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
टिम्बर व्यवसायियों के लिए अलग भूमि आवंटन की मांग
चैम्बर अध्यक्ष परेश गट्टानी ने बैठक में सुझाव दिया कि राज्य के 24 जिलों में 50 से 100 एकड़ जमीन विशेष रूप से टिम्बर व्यवसायियों को आवंटित की जाए, जिससे व्यापार को संरचित रूप दिया जा सके और राज्य की आर्थिक प्रगति को बल मिल सके।
व्यापारियों की ओर से रखी गई मुख्य मांगे:
- सॉ मिल लाइसेंस का नवीकरण 5 से 10 वर्षों के लिए किया जाए।
- साझेदार के नामांतरण की अनुमति दी जाए।
- व्यापार विस्तार के लिए अतिरिक्त Band Saw और Trolley लगाने की अनुमति दी जाए।
- टिम्बर व्यापारियों के लिए 50-100 एकड़ जमीन आवंटित की जाए।
बैठक में उपस्थित प्रमुख लोग:
बैठक में चैम्बर अध्यक्ष परेश गट्टानी, महासचिव आदित्य मल्होत्रा, सह सचिव नवजोत अलंग, उप समिति के चेयरमैन तेजविंदर सिंह, सदस्य अमृत लाल पटेल, अतीक अहमद, बिनोद पटेल, अरुण जजोडिया, नंद लाल साहू, शुभम अग्रवाल, प्रमोद कुमार अग्रवाल और महेंद्र सिंह समेत अन्य सदस्य उपस्थित थे।
प्रवक्ता सुनील सरावगी ने उक्त जानकारी साझा की।
