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एशिया के सबसे बड़े साहित्योत्सव में नागपुरी भाषा का प्रतिनिधित्व

खूँटी

एशिया के सबसे बड़े साहित्योत्सव में नागपुरी भाषा का प्रतिनिधित्व

खूंटी के डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो 12 मार्च को दिल्ली में एशिया के सबसे बड़े साहित्योत्सव में नागपुरी भाषा का प्रतिनिधित्व करेंगे। 7-12 मार्च तक आयोजित इस उत्सव में 700 से अधिक विद्वान शामिल होंगे। उनके चयन से नागपुरी भाषा को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी, जिससे झारखंड के साहित्य प्रेमियों में हर्ष है।

खूँटी: साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा आयोजित साहित्योत्सव-2025 में खूंटी जिले के कर्रा प्रखंड के जलंगा निवासी चिन्हित झारखंड आंदोलनकारी, प्राध्यापक सह साहित्यकार डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो नागपुरी भाषा का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह साहित्योत्सव 7 से 12 मार्च 2025 तक दिल्ली के रवींद्र भवन में आयोजित किया जा रहा है, जिसे एशिया का सबसे बड़ा साहित्य महोत्सव माना जा रहा है।

इस प्रतिष्ठित साहित्यिक आयोजन में 100 से अधिक सत्रों में 700 से अधिक प्रसिद्ध लेखक, विद्वान और साहित्यकार भाग लेंगे, जहां 50 से अधिक भारतीय भाषाओं का प्रतिनिधित्व होगा। नागपुरी भाषा को इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थान मिलने से झारखंड के भाषा प्रेमियों और साहित्यकारों में उत्साह का माहौल है।

झारखंड की संपर्क भाषा को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी

रांची विश्वविद्यालय के नागपुरी विभागाध्यक्ष डॉ उमेश नंद तिवारी ने इस अवसर को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि “एशिया के सबसे बड़े साहित्य महोत्सव में नागपुरी भाषा को स्थान मिलना झारखंड के लिए गौरव का विषय है। इससे न केवल नागपुरी भाषा को अंतरराष्ट्रीय मंच मिलेगा, बल्कि इसे साहित्यिक रूप से और अधिक पहचान मिलेगी।”

डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो का इस साहित्योत्सव में चयन झारखंड के साहित्यिक और सांस्कृतिक परिदृश्य के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। उनके चयन पर साहित्यकारों, शिक्षाविदों और समाजसेवियों ने प्रसन्नता जाहिर की है।

खूंटी और झारखंड में खुशी की लहर

डॉ महतो के इस उपलब्धि पर झारखंड के साहित्यिक और अकादमिक जगत में खुशी की लहर है। उन्हें बधाई देने वालों में कई प्रतिष्ठित साहित्यकार, शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। बधाई देने वालों में डॉ रीझू नायक, डॉ खालिक अहमद, डॉ सविता केशरी, आलोक कुमार मिश्रा, हरेन्द्र लोहरा, समाजसेवी वासुदेव महतो, भाजपा नेत्री सीमा देवी, डॉ किशोर सुरिन और डॉ करम सिंह मुण्डा प्रमुख रूप से शामिल हैं।

डॉ महतो की इस प्रस्तुति से झारखंड की सबसे बड़ी आदिवासी और मूलवासी संपर्क भाषा नागपुरी को साहित्यिक और अकादमिक क्षेत्र में और मजबूती मिलने की उम्मीद है। उनके योगदान से इस भाषा को न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिलेगी।

झारखंड के लिए गौरव का क्षण

झारखंड की समृद्ध भाषा-संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के इस प्रयास को लेकर झारखंड के भाषा प्रेमियों और साहित्यकारों में जबरदस्त उत्साह है। 12 मार्च को जब डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो इस साहित्योत्सव में नागपुरी भाषा में अपनी प्रस्तुति देंगे, तो यह झारखंड के भाषा-संस्कृति के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा।

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