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अपराध की दुनिया में नए चेहरे, एटीएस की पैनी नजर

राँची

अपराध की दुनिया में नए चेहरे, एटीएस की पैनी नजर

झारखंड में संगठित अपराधी गिरोहों में शामिल नए अपराधियों की पहचान के लिए एटीएस और सीआईडी ने विशेष अभियान शुरू किया है। पुलिस इन नए चेहरों के रिकॉर्ड खंगाल रही है ताकि बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाया जा सके।

रांची: झारखंड में संगठित अपराध की दुनिया में नए चेहरों की दस्तक ने पुलिस के लिए चिंता बढ़ा दी है। अपराधी गिरोह अब युवाओं को अपने जाल में फंसा रहे हैं, जिससे अपराध का नया नेटवर्क तेजी से फल-फूल रहा है। हालात पर काबू पाने के लिए झारखंड पुलिस के डीजीपी के निर्देश पर एटीएस (आतंकवाद निरोधी दस्ता) और सीआईडी (अपराध अनुसंधान विभाग) ने ऐसे नए चेहरों की पहचान के लिए विशेष अभियान शुरू किया है।

नए अपराधियों की तलाश क्यों जरूरी?

पिछले कुछ महीनों में झारखंड के कई जिलों में हुई गोलीबारी की घटनाओं के पीछे ऐसे अपराधी पकड़े गए जिनका पुलिस रिकॉर्ड में नाम ही नहीं था। ये अपराधी पहले से किसी आपराधिक गिरोह का हिस्सा नहीं थे, लेकिन हाल ही में अपराध की दुनिया में कदम रख चुके थे।

जांच में सामने आया कि संगठित आपराधिक गिरोह अब नए युवाओं को लालच देकर अपने गिरोह में शामिल कर रहे हैं। इन नए चेहरों का कोई आपराधिक इतिहास नहीं होता, जिससे पुलिस के लिए उनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है।

“अपराधी गिरोह अब ऐसे युवाओं को पैसे और ताकत का लालच देकर अपने गिरोह में शामिल कर रहे हैं, जिनका कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होता,” झारखंड एटीएस एसपी ऋषभ झा ने बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे नए अपराधियों पर नजर रखने के लिए एटीएस ने विशेष अभियान शुरू किया है।

सीआईडी का खुफिया जाल फैला

राज्य में संगठित आपराधिक गिरोहों का प्रभाव किस हद तक बढ़ चुका है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि झारखंड में 12 से अधिक संगठित गिरोह सक्रिय हैं। इनमें कोयला कारोबार, जमीन माफिया और रंगदारी वसूलने वाले गिरोह प्रमुख हैं।

सीआईडी ने सभी जिलों के एसपी को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने जिले में सक्रिय गिरोहों और उनके सदस्यों का पूरा ब्योरा तैयार करें। इसके तहत गिरोह के सदस्यों के आपराधिक रिकॉर्ड, उनके परिजनों, संपत्ति और गिरोह के नेटवर्क की विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है।

बड़े नामों के पीछे छुपे नए चेहरे

झारखंड में अपराध की दुनिया में अमन सिंह, अमन श्रीवास्तव, अमन साहू और विकास तिवारी जैसे नाम लंबे समय से चर्चा में रहे हैं। ये गिरोह कोयला क्षेत्र और व्यापारियों से रंगदारी वसूलने के लिए कुख्यात हैं। हाल के दिनों में इन गिरोहों में कई नए चेहरे शामिल हुए हैं, जो पुलिस की फाइलों में दर्ज ही नहीं थे। यही वजह है कि पुलिस अब इन गिरोहों का नया खाका तैयार कर रही है।

सोशल मीडिया पर बढ़ता अपराध का ट्रेंड

चौंकाने वाली बात यह है कि अब अपराधी खुद सोशल मीडिया के जरिये अपने गिरोह की हलचल साझा कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर सक्रिय अपराधी राहुल सिंह इसका उदाहरण है। राहुल सिंह, जो अपराध की दुनिया में नया नाम है, खुद को बड़ा अपराधी साबित करने के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर अपने गिरोह के पुराने और नए सदस्यों के नाम सार्वजनिक कर चुका है।

राहुल सिंह के पोस्ट में कई ऐसे लोगों के नाम हैं जिन्हें उसके गिरोह से बाहर कर दिया गया है। इनमें से कई पर गंभीर आरोप लगे हैं। अपराधियों के बीच आपसी मनमुटाव की ये स्थिति पुलिस के लिए एक मौका बन गई है, जिससे वे गिरोहों की अंदरूनी गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं।

गिरोहों पर शिकंजा कसने की तैयारी

झारखंड पुलिस, एटीएस और सीआईडी का ये साझा अभियान अब अपराध की नई परतें खोल रहा है। पुलिस का मानना है कि नए अपराधियों की पहचान करके उन्हें मुख्यधारा में लौटने का मौका दिया जा सकता है, ताकि वे संगठित अपराध के दलदल में पूरी तरह न फंस जाएं।

“हमें सिर्फ अपराधियों को पकड़ना नहीं है, बल्कि नए युवाओं को अपराध के दलदल में फंसने से भी बचाना है,” एटीएस अधिकारी ऋषभ झा ने कहा।

झारखंड में अपराध की दुनिया में ये नए चेहरे फिलहाल भले ही अंधेरे में छिपे हों, लेकिन पुलिस के अभियान ने उनकी पहचान के लिए रोशनी का एक मजबूत किरण जला दी है।

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