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ऑनलाइन गेम की लत ने बनाया अपराधी: मां-बेटे ने खुद ही रची लूट की साजिश

गिरिडीह

ऑनलाइन गेम की लत ने बनाया अपराधी: मां-बेटे ने खुद ही रची लूट की साजिश

गिरिडीह में ऑनलाइन गेम की लत के चलते युवक ने अपनी मां के साथ मिलकर घर में लूट की झूठी साजिश रची। पुलिस जांच में CDR के जरिए खुला पूरा मामला।

गिरिडीह: ऑनलाइन गेम की लत कितनी घातक हो सकती है, इसका एक चौंकाने वाला उदाहरण गिरिडीह के सरिया थाना क्षेत्र में सामने आया है। यहां एक युवक ने अपनी मां के साथ मिलकर खुद के ही घर में लूट की कहानी रच डाली।

आखिर क्यों रची गई यह साजिश?

इस सनसनीखेज घटना का मास्टरमाइंड कोई और नहीं बल्कि वही युवक निकला, जिसने खुद पुलिस में लूट की शिकायत दर्ज कराई थी। घटना के खुलासे में सामने आया कि युवक जीतेंद्र कुमार मंडल को ऑनलाइन गेम खेलने की लत थी, जिसने उसकी जिंदगी को अंधकार में धकेल दिया।

बीते चार महीनों में जीतेंद्र ने ऑनलाइन गेम में करीब 4.5 लाख रुपये गंवा दिए थे। इसमें उसकी शादी के लिए मिले दहेज का पैसा भी शामिल था। जैसे-जैसे शादी की तारीख नजदीक आने लगी, घरवाले तैयारियों के लिए उससे पैसों की मांग करने लगे।

आतंकित जीतेंद्र ने अपनी मां को सच बता दिया। जब मां को पता चला कि बेटे ने सारी रकम गंवा दी है, तो वह चिंता में डूब गईं। बेटे ने मां को आत्महत्या करने की धमकी दी, जिससे घबराकर मां भी उसके अपराध में शामिल हो गईं।

कैसे रची गई साजिश?

मां-बेटे ने मिलकर अपने ही घर में लूट की एक झूठी कहानी गढ़ी। उन्होंने घर में खुद को बंधक बना लिया और फिर पुलिस को सूचना दी कि लुटेरों ने घर में घुसकर 1.74 लाख रुपये नकद, 400 ग्राम चांदी और 3 ग्राम सोने के गहने लूट लिए।

पुलिस के सवालों में उलझ गई कहानी

सरिया अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (SDPO) धनंजय राम और थाना प्रभारी आलोक कुमार सिंह ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता में बताया कि शुरू में मामला एक आम लूटकांड जैसा ही प्रतीत हुआ। लेकिन जब पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई तो कहानी में कई झोल सामने आने लगे।

जीतेंद्र के बार-बार बदलते बयानों ने पुलिस का शक गहरा दिया। जांच के दौरान उसके बैंक खाते की जांच की गई और टेक्निकल सेल ने उसके मोबाइल का CDR (Call Detail Record) खंगालना शुरू किया।

सच आया सामने

जब पुलिस ने तथ्यों को जोड़ना शुरू किया तो साजिश की परतें खुलने लगीं। आखिरकार जीतेंद्र, उसकी मां और दिव्यांग पिता ने खुद इस झूठी साजिश में शामिल होने की बात कबूल कर ली।

एसआईटी ने किया खुलासा

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया था। इस टीम का नेतृत्व SDPO धनंजय कुमार राम कर रहे थे। टीम में इंस्पेक्टर ज्ञान रंजन, थाना प्रभारी आलोक कुमार सिंह, सब-इंस्पेक्टर योगेश कुमार महतो और सहायक अवर निरीक्षक श्रवण कुमार सिंह शामिल थे।

सबक जो यह घटना सिखाती है

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि ऑनलाइन गेमिंग की लत किस हद तक लोगों को अपराध की ओर धकेल सकती है। मानसिक तनाव, आर्थिक दबाव और पारिवारिक जिम्मेदारियों से बचने के लिए अपराध का रास्ता अपनाना न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि इससे अपनों का भरोसा भी टूट जाता है।

झारखंड पुलिस ने इस घटना के बाद युवाओं और अभिभावकों को सचेत रहने की सलाह दी है, ताकि ऑनलाइन गेमिंग जैसी लत से घर-परिवार बर्बाद न हो।

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