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पलाश के रंग से खिले ग्रामीण महिलाओं के चेहरे

खूँटी

पलाश के रंग से खिले ग्रामीण महिलाओं के चेहरे

पलाश ब्रांड के हर्बल गुलाल ने झारखंड की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। इस होली, रांची, हजारीबाग, पलामू समेत कई जिलों में लगे पलाश स्टॉल्स पर प्राकृतिक हर्बल गुलाल, रागी लड्डू और हैंडमेड चॉकलेट जैसे उत्पादों की बिक्री से महिलाओं को आर्थिक मजबूती मिली है।

रांची: होली का त्योहार आते ही झारखंड के बाजारों में पलाश ब्रांड के हर्बल गुलाल की खुशबू फैल गई है। मगर इन रंगों में सिर्फ खुशबू ही नहीं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं की मेहनत, आत्मनिर्भरता और उम्मीदों की कहानी भी घुली हुई है।

झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के ‘पलाश’ ब्रांड के तहत सखी मंडल की हजारों महिलाएं इस बार होली के लिए हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं। इस अभियान के तहत रांची, हजारीबाग, पलामू, चतरा, रामगढ़, खूंटी और लोहरदगा जिलों में ‘पलाश हर्बल गुलाल प्रदर्शनी सह बिक्री स्टॉल’ लगाए गए हैं।

“ये सिर्फ गुलाल नहीं है, हमारी पहचान है,” कहती हैं गुमला जिले के सेमर टोली गांव की सुमित्रा देवी। सुमित्रा ‘सखी मंडल’ से जुड़ी हैं और पिछले दो वर्षों से पलाश हर्बल गुलाल बना रही हैं। उनके हाथों में गहरे गुलाबी रंग का गुलाल है, जिसे उन्होंने चुकंदर से तैयार किया है। सुमित्रा बताती हैं कि कैसे पहले उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन अब गुलाल और दूसरे उत्पाद बेचकर वे हर महीने अच्छी कमाई कर लेती हैं।

“पहले घर का खर्च चलाना मुश्किल था,” सुमित्रा ने बताया। “लेकिन अब ये हर्बल गुलाल हमारे लिए उम्मीद की तरह आया है। होली के पहले ही मेरी 400 पैकेट गुलाल बिक चुकी है। इससे मेरे बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च आसानी से चल जाता है।”

प्राकृतिक रंगों में मेहनत की महक

पलाश हर्बल गुलाल की खासियत यह है कि इसे पूरी तरह प्राकृतिक सामग्री से तैयार किया गया है। हरा रंग पालक से, गुलाबी रंग चुकंदर से, पीला और नारंगी रंग पलाश और हल्दी से, जबकि नीला रंग सिंद्धार के पत्तों से बनाया जा रहा है। ये गुलाल न केवल त्वचा के लिए सुरक्षित है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है।

जेएसएलपीएस की मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी कंचन सिंह के अनुसार, “पलाश ब्रांड के जरिए हम ग्रामीण महिलाओं के हाथों से बने उत्पादों को बाजार तक पहुंचा रहे हैं। पलाश हर्बल अबीर का उत्पादन न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि इससे हजारों ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक संबल भी मिल रहा है।”

रांची के प्रमुख स्थलों पर 9-13 मार्च 2025 तक पलाश होली स्पेशल डिस्प्ले स्टॉल में हर्बल गुलाल और खाद्य उत्पादों की बिक्री

रांची के मोराबादी मैदान, सचिवालय परिसर, झारखंड उच्च न्यायालय, रांची मॉल, न्यूक्लियस मॉल, रिलायंस मॉल (कांके रोड), डोरंडा बाजार और अन्य प्रमुख स्थलों पर पलाश के स्टॉल लगे हैं। यहां ‘पलाश हर्बल गुलाल’ के साथ-साथ पलाश रागी लड्डू, हैंडमेड चॉकलेट, कुकीज़ और अन्य खाद्य उत्पाद भी उपलब्ध हैं।

खूंटी जिले की आशा देवी, जो स्टॉल पर ग्राहकों का स्वागत कर रही थीं, कहती हैं, “जब ग्राहक हमारी मेहनत को सराहते हैं, तो दिल को सुकून मिलता है। ये गुलाल सिर्फ रंग नहीं, बल्कि हमारे संघर्ष की कहानी है।”

इस बार जब होली के रंग हवा में घुलें, तो उनमें सिर्फ रंगों की चमक नहीं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के संघर्ष और आत्मनिर्भरता की महक भी होगी। आइए, इस होली पलाश के रंगों से न केवल खुशियां बिखेरें, बल्कि इन महिलाओं के हौसले का जश्न भी मनाएं!

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