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पीएम मोदी ने बजट वेबिनार में MSME और विनिर्माण पर जोर दिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट वेबिनार में MSME, विनिर्माण, निर्यात और सुधारों पर जोर दिया। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत, स्थिर नीतियों और वित्तीय पारदर्शिता को मजबूत करने की बात कही। MSME को बढ़ावा देने, अनुसंधान और विकास (R&D) को प्रोत्साहित करने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पोस्ट-बजट वेबिनार को संबोधित किया। इस वेबिनार का आयोजन “MSME: विकास का इंजन”, “निर्माण, निर्यात और परमाणु ऊर्जा मिशन”, तथा “नियामक, निवेश और व्यापार सुगमता सुधार”जैसे विषयों पर किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बजट सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट है, और इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसकी प्रभावी कार्यान्वयन योजना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 10 वर्षों में सरकार ने निरंतर सुधारों, वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और समावेशी विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है। उन्होंने कहा कि इस नीति की स्थिरता और सुधारों की निरंतरता ने उद्योग जगत में नया आत्मविश्वास पैदा किया है। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि यह स्थिरता भविष्य में भी बनी रहेगी और उन्होंने सभी हितधारकों से भारत के निर्माण और निर्यात क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए नए अवसरों की खोज करने का आग्रह किया।
आत्मनिर्भर भारत और MSME क्षेत्र की सुदृढ़ता
प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि को आगे बढ़ाने और सुधारों की गति को तेज करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार की प्रभावी नीतियों के कारण भारत कोविड महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने में सफल रहा, जिससे यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत के साथ आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना चाहती है, और भारतीय निर्माण क्षेत्र को इसका अधिकतम लाभ उठाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने MSME क्षेत्र को भारत के औद्योगिक विकास की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा कि 2020 में सरकार ने 14 वर्षों बाद MSME की परिभाषा में बदलाव किया, जिससे छोटे और मध्यम उद्यमों को बढ़ने के लिए अधिक स्वतंत्रता मिली। उन्होंने बताया कि आज भारत में 6 करोड़ से अधिक MSMEs हैं, जो करोड़ों लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। इस बजट में MSME की परिभाषा को और विस्तारित किया गया है, जिससे इस क्षेत्र में निरंतर विकास को बढ़ावा मिलेगा।
नीतिगत स्थिरता और व्यापार सुगमता सुधार
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी देश के विकास के लिए स्थिर नीतियां और बेहतर व्यापारिक वातावरण अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले सरकार ने जन विश्वास अधिनियम के तहत 40,000 से अधिक अनुपालनों (compliances) को समाप्त किया था, जिससे व्यापार सुगमता को बढ़ावा मिला। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए और सरकार जन विश्वास 2.0 विधेयक पर काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि गैर-वित्तीय क्षेत्र में नियमों की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की गई है, जिसका उद्देश्य उन्हें आधुनिक, लचीला, लोगों के अनुकूल और विश्वास-आधारित बनाना है। उन्होंने उद्योग जगत से अनुरोध किया कि वे ऐसे मुद्दों की पहचान करें जो लंबी प्रक्रिया के कारण बाधित होते हैं, साथ ही तकनीक के माध्यम से प्रक्रियाओं को सरल बनाने के सुझाव दें।
PLI योजना और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI Scheme) के तहत 14 सेक्टर लाभान्वित हो रहे हैं। इस योजना के तहत अब तक 750 से अधिक इकाइयों को मंजूरी दी जा चुकी है, जिसके परिणामस्वरूप ₹1.5 लाख करोड़ से अधिक का निवेश हुआ है, ₹13 लाख करोड़ मूल्य का उत्पादन हुआ है और ₹5 लाख करोड़ से अधिक का निर्यात हुआ है। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि जब उद्यमियों को अवसर मिलते हैं, तो वे नए क्षेत्रों में भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व में मौजूदा भू-राजनीतिक अनिश्चितता के बीच भारत को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान जब वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में थी, तब भारत ने वैश्विक विकास को गति दी। उन्होंने उद्योग जगत से अपील की कि वे केवल दर्शक न बनें, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपने लिए अवसरों की तलाश करें।
R&D और नवाचार को बढ़ावा
प्रधानमंत्री ने अनुसंधान और विकास (R&D) को भारत की विनिर्माण यात्रा का एक महत्वपूर्ण घटक बताया और इसके तेजी से विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नवाचार पर ध्यान केंद्रित करके और उत्पादों में मूल्य संवर्धन करके भारत वैश्विक बाजार में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने बताया कि भारत के खिलौना, फुटवियर और चमड़ा उद्योग में जबरदस्त क्षमता है और पारंपरिक शिल्प को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में भारत एक वैश्विक चैंपियन बन सकता है, जिससे निर्यात में वृद्धि होगी और लाखों नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत पारंपरिक कारीगरों को संपूर्ण समर्थन दिया जा रहा है और इन्हें नए अवसरों से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।
MSME के लिए ऋण सुविधा में वृद्धि
प्रधानमंत्री ने कहा कि MSMEs के लिए ऋण प्राप्त करना सबसे बड़ी चुनौती थी। उन्होंने बताया कि 10 साल पहले MSMEs को ₹12 लाख करोड़ का ऋण मिलता था, जो अब बढ़कर ₹30 लाख करोड़ हो गया है। इस बजट में MSMEs के लिए ऋण गारंटी कवर को दोगुना कर ₹20 करोड़ कर दिया गया है।
उन्होंने यह भी घोषणा की कि MSMEs के लिए विशेष रूप से ₹5 लाख तक की सीमा वाले कस्टमाइज़्ड क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएंगे, जिससे उनकी कार्यशील पूंजी की जरूरतें पूरी हो सकें। उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना जैसी पहलें छोटे उद्योगों को बिना गारंटी के ऋण उपलब्ध करा रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहली बार महिला, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के 5 लाख नए उद्यमियों को ₹2 करोड़ तक के ऋण दिए जाएंगे। उन्होंने उद्योग जगत से अपील की कि वे इन उद्यमियों का मार्गदर्शन करने के लिए एक मेंटॉरशिप कार्यक्रम बनाएं।
राज्यों की भूमिका और निवेश को बढ़ावा
प्रधानमंत्री ने कहा कि निवेश को आकर्षित करने में राज्यों की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि जो राज्य व्यापार सुगमता को बढ़ावा देंगे, वे अधिक निवेश आकर्षित करेंगे। उन्होंने राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि जो राज्य इस बजट के अवसरों का सबसे अच्छा उपयोग करेंगे, वे सबसे अधिक लाभान्वित होंगे।
सहभागिता और भविष्य की योजना
प्रधानमंत्री ने कहा कि वेबिनार का उद्देश्य केवल विचार-विमर्श नहीं, बल्कि व्यवहारिक समाधान निकालना है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से बजट के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए नीतियों, योजनाओं और दिशानिर्देशों के निर्माण में सहयोग की अपील की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस वेबिनार से प्राप्त सुझाव सरकार की नीतियों को और मजबूत करेंगे और भारत के औद्योगिक विकास को गति देंगे।
इस अवसर पर विभिन्न केंद्रीय मंत्री, उद्योग जगत के प्रतिनिधि, और विशेषज्ञ उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
यह वेबिनार सरकार, उद्योग जगत और विशेषज्ञों के लिए एक सहयोगी मंच प्रदान करेगा, जहां भारत की औद्योगिक, व्यापार और ऊर्जा रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इन चर्चाओं का उद्देश्य बजट की नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करना, निवेश को प्रोत्साहित करना और नई तकनीकों को अपनाना होगा, जिससे भारत की औद्योगिक प्रगति को नया आयाम मिल सके।
