राँची
समाहरणालय में शिशु गृह का शुभारंभ: नन्हे मुस्कानों से गूंजा उपायुक्त का कार्यालय
रांची: आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के खास मौके पर रांची समाहरणालय में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने हर दिल को छू लिया। समाहरणालय भवन के ब्लॉक बी, कमरा संख्या 211 में शिशु गृह (Creche) का शुभारंभ हुआ, जहां नन्हे-नन्हे बच्चों की मासूम मुस्कानें हर कोने में उजियारा फैला रही थीं।
शिशु गृह का उद्घाटन जिला दण्डाधिकारी-सह-उपायुक्त, श्री मंजूनाथ भजन्त्री ने विधिवत फीता काटकर किया। इस मौके पर डीआईजी सह वरीय पुलिस अधीक्षक श्री चंदन कुमार सिन्हा, अनुमंडल पदाधिकारी श्री उत्कर्ष कुमार, कार्यपालक दंडाधिकारी श्रीमती शाइनी तिग्गा और श्री जफर हसनत सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।
माँ के कर्तव्य और करियर का अद्भुत संगम
शिशु गृह का उद्घाटन महज़ एक सरकारी औपचारिकता नहीं थी, बल्कि यह उन कामकाजी माताओं के लिए राहत की सौगात थी जो अपने बच्चों को लेकर हर दिन चिंता में रहती थीं। अब महिलाएँ अपने नवजात शिशुओं को शिशु गृह में सुरक्षित रखकर कार्यस्थल पर निश्चिंत होकर काम कर सकेंगी।
शिशु गृह में 0 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए आरामदायक बिस्तर, खिलौने और पोषक आहार की व्यवस्था की गई है। माताएं काम के बीच अपने बच्चों को स्तनपान भी करा सकती हैं। इस पहल से मातृत्व और करियर के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी।
उपायुक्त के गोद में नन्ही मुस्कानें
इस शुभ अवसर का सबसे मार्मिक क्षण तब आया जब उपायुक्त श्री मंजूनाथ भजन्त्री शिशु गृह में पहुंचे। वहाँ खेलते नन्हे बच्चों को देखकर उनके चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई। उन्होंने बच्चों को अपनी गोद में उठा लिया, प्यार से उनके गाल थपथपाए, और खिलौनों के साथ उन्हें खेलाया।
उपायुक्त के इस स्नेहिल रूप ने माहौल को भावनात्मक बना दिया। उनकी गोद में जाकर बच्चे भी बेहद खुश थे—कुछ उनकी उँगली पकड़कर मुस्कुरा रहे थे, तो कुछ उनके कंधे पर सिर रखकर सुकून से बैठ गए।
इस दृश्य को देखकर वहाँ मौजूद हर व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान थी। एक महिला कर्मचारी ने भावुक होते हुए कहा,
“अब मैं काम के दौरान अपने बच्चे को सुरक्षित महसूस कर सकती हूँ। यह मेरे लिए एक बड़ी राहत है।“
मातृत्व लाभ अधिनियम का सराहनीय क्रियान्वयन
शिशु गृह का शुभारंभ मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के तहत किया गया है, जिसमें कार्यस्थलों पर क्रेच की सुविधा सुनिश्चित करने का प्रावधान है। 2017 के संशोधन के बाद यह व्यवस्था अनिवार्य कर दी गई थी, और रांची जिला प्रशासन ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए महिलाओं के लिए यह महत्वपूर्ण सुविधा शुरू की है।
नन्हे कदमों से बड़ी उम्मीदें
समाहरणालय में शिशु गृह की स्थापना एक ऐसी पहल है जो न केवल बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाएगी, बल्कि माताओं को आत्मविश्वास और सुकून भी देगी। यह पहल कामकाजी महिलाओं के लिए आशा की नई किरण है—जहाँ मातृत्व का प्यार और करियर का सपना, दोनों एक साथ साकार हो रहे हैं।
