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झारखंड फिल्म फेस्टिवल: बिना अनुमति आयोजन, चेयरमैन पर FIR दर्ज
जिफ्फा के चेयरमैन ऋषि प्रकाश मिश्रा पर बिना अनुमति राज्यपाल, मुख्यमंत्री की तस्वीरें और राज्य के लोगो के इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज हुई। प्रशासन ने फेस्टिवल रोक दिया, जिससे कलाकार और दर्शक निराश हुए। आयोजकों ने अनुमति प्रक्रिया पर सवाल उठाए।
राँची: राजधानी राँची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित छठे झारखंड अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल (जिफ्फा) को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस आयोजन के चेयरमैन ऋषि प्रकाश मिश्रा के खिलाफ लालपुर थाना में एफआईआर दर्ज की गई है। यह प्राथमिकी कार्यपालक दंडाधिकारी जफर हसनात की शिकायत पर दर्ज की गई है। आरोप है कि आयोजन में बिना किसी सरकारी अनुमति के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तस्वीरों और राज्य के आधिकारिक लोगो (प्रतीक चिन्ह) का इस्तेमाल किया गया, जो कानूनन गलत है।
प्रशासन ने आयोजन पर रोक लगाई
रविवार को प्रशासन ने अचानक ही फिल्म फेस्टिवल के आयोजन पर रोक लगा दी। प्रशासन का कहना था कि इस कार्यक्रम के लिए किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई थी। आयोजकों ने आवेदन जरूर दिया था, लेकिन उन्हें इसकी स्वीकृति प्रदान नहीं की गई थी।
इसके अतिरिक्त, प्रशासन ने बताया कि मोरहाबादी मैदान में किसी भी सार्वजनिक आयोजन के लिए एक निश्चित शुल्क निर्धारित है, जिसे आयोजकों ने अदा नहीं किया था। नियमों के अनुसार, आयोजन स्थल के लिए 50,000 रुपये प्रतिदिन और साफ-सफाई के लिए 4,500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दो दिनों के लिए कुल 1,13,000 रुपये जमा करने थे। लेकिन 1 मार्च 2025 तक यह राशि जमा नहीं की गई, जिससे प्रशासन ने आवेदन को निरस्त कर दिया और आयोजन को रोक दिया।
कलाकारों और दर्शकों में नाराजगी
फिल्म फेस्टिवल को अचानक रद्द किए जाने से देश-विदेश से आए कलाकारों और दर्शकों में भारी नाराजगी देखी गई। कई बड़े कलाकारों को इस आयोजन के लिए आमंत्रित किया गया था। कुछ कलाकार आयोजन स्थल तक पहुंच भी चुके थे, लेकिन कार्यक्रम रद्द होने की खबर मिलने के बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा। हजारों की संख्या में आए फैंस भी निराश होकर लौट गए।
आयोजकों का दावा: अनुमति की जानकारी नहीं दी गई
आयोजक ऋषि प्रकाश मिश्रा का कहना है कि इस बार झारक्राफ्ट के बैनर तले फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया था। पहले दिन कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, लेकिन दूसरे दिन जब कलाकारों को सम्मानित किया जाना था, तब अचानक प्रशासन ने रोक लगा दी। मिश्रा ने बताया कि अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन स्पष्ट कारण नहीं बताया गया। उनका दावा है कि इस आयोजन पर 40 लाख रुपये से अधिक खर्च हुए, जिसमें झारक्राफ्ट के प्रचार-प्रसार का कार्य भी शामिल था।
एफआईआर दर्ज, आगे की कार्रवाई जारी
कार्यपालक दंडाधिकारी जफर हसनात की शिकायत पर लालपुर थाना में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। आयोजकों पर आरोप है कि उन्होंने बिना अनुमति सरकारी प्रतीकों और नेताओं की तस्वीरों का इस्तेमाल किया, जो कानूनी रूप से गलत है।
क्या है आगे की संभावना?
अब सवाल यह उठता है कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होगी। क्या आयोजकों को कोई राहत मिलेगी, या प्रशासन और कड़े कदम उठाएगा? झारखंड फिल्म फेस्टिवल को लेकर यह विवाद झारखंड की सांस्कृतिक गतिविधियों पर भी असर डाल सकता है। कलाकारों और दर्शकों की उम्मीदों को झटका लगने के बाद, आने वाले समय में प्रशासन इस तरह के आयोजनों को लेकर सख्ती बरत सकता है।
फिलहाल, इस पूरे घटनाक्रम पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
