राँची

झारखंड का 1.36 लाख करोड़ बकाया: विधानसभा में गरमाई बहस

बकाया का मामला विधानसभा में गूंजा, सरकार बोली- हक का पैसा लेकर रहेंगे। विपक्ष ने कहा, बयानबाजी नहीं, ठीक से करें कानूनी कार्रवाई। केंद्रीय कोयला मंत्री ने समाधान के लिए बैठक की बात कही। सरकार ने कोर्ट में याचिका दाखिल करने पर विचार का आश्वासन दिया।

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राँची: झारखंड विधानसभा में सोमवार को केंद्र सरकार पर राज्य के 1.36 लाख करोड़ रुपये बकाया का मामला गरमाया। जदयू विधायक सरयू राय ने सरकार से सवाल किया कि केंद्र सरकार के पास किस मद में राज्य का कितना बकाया है और उसकी वसूली के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

राज्य सरकार का पक्ष

खान विभाग के प्रभारी मंत्री योगेंद्र महतो ने सदन में बकाया राशि का पूरा ब्यौरा प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि 2022 तक केंद्र सरकार पर झारखंड का 1.36 लाख करोड़ रुपये बकाया है, जिसमें 41,142 करोड़ रुपये मूलधन और शेष राशि सूद के रूप में जोड़ी गई है। मंत्री ने कहा कि यह झारखंड के हक का पैसा है, जिसे लेकर रहेंगे।

वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि राज्य सरकार ने केंद्रीय कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी से इस मुद्दे पर मुलाकात की थी। रेड्डी ने स्वीकार किया कि झारखंड का केंद्र पर बकाया है और इसका आकलन करने के लिए केंद्र और राज्य के अधिकारियों की संयुक्त बैठक होगी।

विपक्ष का सवाल

इस पर विधायक सरयू राय ने कहा कि केवल बातचीत से यह मामला नहीं सुलझेगा। अगर सरकार वास्तव में बकाया राशि वसूलना चाहती है तो उसे कोर्ट और ट्रिब्यूनल में कानूनी पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बिना कोर्ट के आदेश के राशि जारी नहीं कर सकती और राज्य सरकार को इस मामले में अधिक सक्रियता दिखानी चाहिए।

राय ने यह भी सवाल उठाया कि राज्य सरकार स्पष्ट करे कि मूल बकाया और ब्याज की गणना किस आधार पर की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि जब मामला हाईकोर्ट और ट्रिब्यूनल में लंबित है, तो राज्य सरकार वहां अपनी दावेदारी को प्रभावी तरीके से क्यों नहीं रख रही?

सरकार का जवाब

प्रभारी मंत्री योगेंद्र महतो ने बताया कि राज्य सरकार पहले ही कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर चुकी है और 23 कंपनियां इस मामले को लेकर ट्रिब्यूनल में गई हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने सहित अन्य कानूनी विकल्पों पर जल्द निर्णय लेगी।

वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है बल्कि वैधानिक प्रक्रिया का मामला है। उन्होंने कहा कि जब तक केंद्र और राज्य के अधिकारी एक साथ बैठक कर वास्तविक आकलन नहीं करते, तब तक इस राशि की सटीक स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकती।

झारखंड सरकार ने साफ कर दिया है कि यह राज्य के अधिकार का पैसा है और इसे हर हाल में वसूला जाएगा। वहीं, विपक्ष इस मामले को केवल बयानबाजी तक सीमित रखने के बजाय कोर्ट और ट्रिब्यूनल में कानूनी कदम उठाने की मांग कर रहा है। अब यह देखना होगा कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच इस वित्तीय विवाद का हल किस तरह निकलता है।

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