राँची

मोदी सरकार देती रही सहायता, राज्य सरकार ने नहीं किया विकास – मरांडी

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड सरकार पर बजट में राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी का नाम न लेने को कुत्सित मानसिकता करार दिया। मरांडी ने सरकार को दिशाहीन बताते हुए विकास कार्यों की अनदेखी, राजस्व कमी और केंद्र की सहायता के बावजूद धीमी प्रगति पर सवाल उठाए।

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राँची: झारखंड विधानसभा में मंगलवार को 2025-26 के बजट पर चर्चा के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने बजट को दिशाहीन, अदूरदर्शी और विकास विरोधी करार दिया। मरांडी ने कहा कि सरकार बजट जैसे गंभीर मुद्दे पर भी राजनीति कर रही है।

उन्होंने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने बजट भाषण में झारखंड निर्माता श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी का नाम तक नहीं लिया। इसे उन्होंने राज्य सरकार की कुत्सित मानसिकता का परिचायक बताया। मरांडी ने कहा, “झारखंड अलग राज्य के निर्माण में किसकी भूमिका थी, यह जनता अच्छे से जानती है। सत्ता पक्ष में बैठे वे लोग, जो कभी झारखंड आंदोलन को बेचने और बदनाम करने में लगे थे, आज सत्ता का आनंद उठा रहे हैं।”

उन्होंने याद दिलाया कि विधानसभा के मुख्य द्वार पर अटल जी की प्रतिमा लगी है और वे झारखंड की जनता के दिलों में बसे हैं, लेकिन वित्त मंत्री ने उन्हें याद करने की जहमत नहीं उठाई।

बजट में योजनामद की राशि घटाई, गैर-योजनामद में बढ़ोतरी

बाबूलाल मरांडी ने बजट के प्रबंधन पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार का बजट आकार देखने में बड़ा जरूर है, लेकिन जनता तक इसका लाभ नहीं पहुंचता। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार शिलान्यास तो कर देती है, लेकिन बजट में प्रावधान न होने के कारण संवेदक काम ही शुरू नहीं कर पाते।

उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार बजटीय प्रावधान के लिए पैसे कहां से लाएगी, यह स्पष्ट नहीं किया गया है। राज्य सरकार ने योजनामद की राशि में कटौती की है, जबकि गैर-योजनामद में बढ़ोतरी कर दी है, जिससे विकास कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

राजस्व संग्रह में कमी, केंद्र की सहायता के बावजूद धीमा विकास

मरांडी ने सरकार की वित्तीय स्थिति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में अब तक सरकार का राजस्व संग्रह मात्र 58.82% रहा है, जिसमें से 28.35% केंद्रीय करों की हिस्सेदारी है।

उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड सरकार केंद्र सरकार की सहायता को स्वीकारने के बजाय उल्टा मोदी सरकार को बदनाम करने में लगी रहती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने झारखंड को पिछले 10 वर्षों में यूपीए सरकार से कई गुना अधिक राशि उपलब्ध कराई है।

मरांडी ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि मनमोहन सरकार ने 10 वर्षों (2004-2014) में झारखंड को 56,090 करोड़ रुपये दिए थे, जबकि मोदी सरकार ने 2014 से 2024 के बीच 2,26,444 करोड़ रुपये दिए हैं। इसी तरह, केंद्रीय अनुदान के रूप में मोदी सरकार ने 1,04,373 करोड़ रुपये दिए हैं, जो कि यूपीए सरकार के 28,509 करोड़ रुपये से 266% अधिक है।

उन्होंने रेलवे क्षेत्र में भी भाजपा सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया कि 2009-14 के दौरान यूपीए सरकार ने झारखंड को मात्र 457 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जबकि मोदी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में 7,309 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं।

झारखंड में बदहाल व्यवस्था, विकास कार्यों पर विराम

बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताते हुए कहा कि झारखंड की कानून-व्यवस्था चरमरा चुकी है। अस्पतालों में दवा नहीं, स्कूलों में पढ़ाई नहीं, सरकारी पद खाली पड़े हैं। उन्होंने बताया कि –

  • झारखंड में प्रति 10,000 व्यक्तियों पर मात्र 4 डॉक्टर उपलब्ध हैं।
  • हाई स्कूलों में प्रधानाध्यापक के 2,252 पद रिक्त हैं।
  • विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 2,200 पद और कर्मचारियों के 3,320 पद खाली हैं।
  • जल जीवन मिशन के तहत केवल 52.6% घरों तक पानी पहुंच सका है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान योजना समेत कई केंद्रीय योजनाओं का लाभ राज्य सरकार जनता तक नहीं पहुंचने दे रही है।

सरकार को जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरने की नसीहत

बाबूलाल मरांडी ने झारखंड सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि केवल घोषणाओं से सरकार नहीं चलती। उन्होंने राज्य सरकार से जन आकांक्षाओं पर खरा उतरने की नसीहत दी और चेताया कि अगर सरकार जनता के प्रति जवाबदेह नहीं बनी, तो उसे आगामी चुनाव में बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।

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