जमशेदजी टाटा की 186वीं जयंती: एक सपने से बनी भारत की पहली व्यवस्थित नगरी
जमशेदपुर, भारत का पहला नियोजित औद्योगिक शहर, जमशेदजी टाटा की दूरदर्शिता का प्रतीक है। 1919 में नामकरण हुआ, यह टाटा स्टील समेत कई उद्योगों का केंद्र है। सुव्यवस्थित बुनियादी ढांचे, स्वच्छता और रोजगार के अवसरों ने इसे स्मार्ट सिटी जैसा बनाया, जो औद्योगिक विकास और शहरी नियोजन का बेहतरीन उदाहरण है।
जमशेदपुर: झारखंड की औद्योगिक राजधानी जमशेदपुर सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि एक विज़न की कहानी है। यह कहानी है एक ऐसे सपने की, जिसे जमशेदजी टाटा ने देखा और उनकी दूरदर्शिता ने इसे हकीकत में बदल दिया। झारखंड भले ही वर्ष 2000 में राज्य बना हो, लेकिन टाटा समूह की भूमिका यहां के विकास में पिछले सौ वर्षों से भी अधिक पुरानी है। जमशेदजी टाटा की 186वीं जयंती के अवसर पर हम जानते हैं कि कैसे उनका सपना एक आधुनिक औद्योगिक नगरी में तब्दील हुआ।
साकची से जमशेदपुर: एक ऐतिहासिक बदलाव
टाटा स्टील (जिसे पहले टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी या टिस्को कहा जाता था) की स्थापना 1908 में हुई थी। 1912 में यहां पहली बार स्टील इंगट का उत्पादन हुआ। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, कंपनी ने ब्रिटिश सेना को 1500 मील लंबी स्टील की पटरियां देकर बड़ी मदद की। इसी योगदान के सम्मान में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने 1919 में इस शहर का नाम जमशेदजी टाटा के सम्मान में जमशेदपुर रखा और कालीमाटी रेलवे स्टेशन को टाटानगर के नाम से नवाजा।
भारत के पहले व्यवस्थित शहरों में शामिल
जमशेदपुर को शुरू से ही एक सुव्यवस्थित औद्योगिक शहर के रूप में विकसित किया गया। यहां चौड़ी सड़कें, हरियाली से भरपूर पेड़, कर्मचारियों के लिए सुव्यवस्थित कॉलोनियां, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच), तकनीकी शिक्षा के लिए शावक नानावटी टेक्निकल इंस्टीट्यूट (एसएनटीआई), और खरीदारी के लिए बिष्टुपुर बाजार बनाया गया। शहर में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था के लिए डिमना डैम का निर्माण किया गया। आज जमशेदपुर अपने बेहतरीन बुनियादी ढांचे के कारण देश के सबसे स्वच्छ और सुव्यवस्थित शहरों में गिना जाता है।
टाटानगर: औद्योगिक क्रांति का केंद्र
जब टाटा स्टील की स्थापना हुई, तब यहां से करीब पांच किलोमीटर दूर कालीमाटी रेलवे स्टेशन स्थित था, जो हावड़ा-मुंबई रेलमार्ग का हिस्सा था। 1907 में इसे औद्योगिक जरूरतों के अनुसार विकसित किया गया और बाद में इसका नाम टाटानगर रेलवे स्टेशन कर दिया गया। आज यह देश के सबसे व्यस्त और अधिक राजस्व देने वाले रेलवे स्टेशनों में शामिल है, जहां से रोजाना 50,000 से अधिक यात्री यात्रा करते हैं।
जुबिली पार्क: नेहरू ने लगाया था बरगद का पौधा
1954 में जमशेदपुर के हरे-भरे जुबिली पार्क का उद्घाटन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था। उन्होंने यहां एक बरगद का पौधा लगाया था, जो आज एक विशाल वृक्ष बन चुका है। जुबिली पार्क आज भी शहर का सबसे सुंदर पर्यटक स्थल बना हुआ है और लोगों को सुकून भरा वातावरण प्रदान करता है।
औद्योगिक नगरी, रोजगार और विकास
जमशेदपुर में टाटा स्टील के अलावा कई अन्य औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुईं, जिनमें टाटा मोटर्स, टाटा कमिंस, टाटा ब्लूस्कोप, इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट्स (आईएसडब्ल्यूपी), जेम्को जैसी कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों ने लाखों लोगों को रोजगार देकर न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया, बल्कि जमशेदपुर को एक औद्योगिक शक्ति के रूप में स्थापित किया।
जमशेदपुर का गौरवशाली इतिहास: प्रमुख पड़ाव
1908: टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) की स्थापना
1911: कालीमाटी रेलवे स्टेशन (अब टाटानगर) बना
1915: शहर का पहला हाईस्कूल – मिसेज केएमपीएम इंटर कॉलेज खुला
1919: वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने जमशेदपुर का नामकरण किया
1930: बिष्टुपुर बाजार की स्थापना
1939: कीनन स्टेडियम का निर्माण
1942: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान टाटा स्टील ने टैंक बनाए
1949: उच्च शिक्षा के लिए को-ऑपरेटिव कॉलेज की स्थापना
1952: महिला कॉलेज की शुरुआत
1953: ट्यूब कंपनी की स्थापना
1958: पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जुबिली पार्क का उद्घाटन
1968: टीआरएफ कंपनी की स्थापना
भविष्य का जमशेदपुर: स्मार्ट सिटी बनने की राह पर
117 वर्षों की यात्रा पूरी करने के बाद भी जमशेदपुर निरंतर विकास की ओर बढ़ रहा है। साफ-सुथरी सड़कें, स्वच्छ जल आपूर्ति और 24 घंटे बिजली जैसी सुविधाएं इसे भारत की स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को टक्कर देने के लिए तैयार कर रही हैं।
जमशेदजी टाटा का सपना केवल एक उद्योग लगाने तक सीमित नहीं था, बल्कि वह भारत में एक ऐसे शहर की कल्पना कर रहे थे, जो आत्मनिर्भर हो, जहां हर नागरिक को समान अवसर मिले, और जो विकास का प्रतीक बने। आज जमशेदपुर, उनके उसी सपने को साकार करता हुआ भारत के सबसे बेहतरीन और सुव्यवस्थित शहरों में से एक बन चुका है।