राँची: झारखंड हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन ने न्यायिक नियुक्तियों में बाहरी व्यक्तियों की नियुक्ति का विरोध करते हुए तीन न्यायाधीशों—मुख्य न्यायाधीश (कोर्ट नंबर-1), जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद (कोर्ट नंबर-3), और जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय (कोर्ट नंबर-4)—की अदालती कार्यवाही में शामिल न होने का निर्णय लिया है। यह निर्णय बुधवार को हुई एसोसिएशन की आमसभा में लिया गया, जिसमें न्यायिक नियुक्तियों को लेकर असंतोष जताया गया और झारखंड के अधिवक्ताओं को हाईकोर्ट का न्यायाधीश बनाए जाने की मांग की गई।
न्यायिक नियुक्तियों में स्थानीय अधिवक्ताओं को प्राथमिकता देने की मांग
एसोसिएशन के सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा झारखंड के अधिवक्ताओं को हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नामित न करने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। अधिवक्ताओं का कहना है कि स्थानीय वकीलों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, ताकि न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता बनी रहे और स्थानीय न्याय प्रणाली मजबूत हो।
आमसभा में पारित प्रस्ताव के तहत यह भी स्पष्ट किया गया कि अगर कोई अधिवक्ता इस निर्णय का विरोध करता है या इसका पालन नहीं करता, तो उसकी एसोसिएशन की सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी।
दिल्ली में उच्च स्तरीय मुलाकात करेगा प्रतिनिधिमंडल
एसोसिएशन ने तय किया कि इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाएगा। इसके लिए एक प्रतिनिधिमंडल गठित किया जाएगा, जो दिल्ली जाकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष से सहयोग प्राप्त करेगा और केंद्रीय कानून मंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश एवं सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्यों से मुलाकात कर झारखंड हाईकोर्ट में न्यायिक नियुक्तियों को लेकर अपनी आपत्तियां और चिंताएं रखेगा।
प्रतिनिधिमंडल द्वारा न्यायिक नियुक्तियों में बाहरी व्यक्तियों को शामिल करने के फैसले को चुनौती देने और झारखंड के अधिवक्ताओं को प्राथमिकता देने की मांग की जाएगी।
अगली बैठक 10 मार्च को, रणनीति होगी तय
आमसभा में यह भी निर्णय लिया गया कि आगामी 10 मार्च को सुबह 10:15 बजे हाईकोर्ट के एस्केलेटर के पास एक और बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। इस बैठक में निर्णय लिया जाएगा कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो विरोध प्रदर्शन को और कैसे आगे बढ़ाया जाए।
इस प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए करीब 400 अधिवक्ताओं ने हस्ताक्षर किए और यह हस्ताक्षर अभियान आगे भी जारी रहेगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा अधिवक्ताओं को इस आंदोलन से जोड़ा जा सके।
एसोसिएशन का रुख स्पष्ट, मांग पूरी न होने तक जारी रहेगा विरोध
झारखंड हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन का कहना है कि जब तक झारखंड के वकीलों को हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में शामिल करने की मांग पूरी नहीं होती, तब तक यह विरोध जारी रहेगा। इसके तहत तीन जजों की अदालतों में अधिवक्ता कोई भी पेशी नहीं करेंगे और अपनी नाराजगी दर्ज कराएंगे।
एसोसिएशन ने साफ कर दिया है कि झारखंड के अधिवक्ताओं के हितों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और अगर जरूरत पड़ी तो यह विरोध और उग्र रूप ले सकता है।