नेतरहाट: झारखंड के प्रसिद्ध नेतरहाट आवासीय विद्यालय में वॉटरबैंक फाउंडेशन और नेशनल बैम्बू मिशन के सहयोग से तीन वर्षीय वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत हुई है। इस पहल के तहत स्थानीय समुदाय, छात्रों और पर्यटकों को हरियाली संरक्षण में सक्रिय रूप से शामिल किया जाएगा।
अभियान की शुरुआत पाँच शहतूत के पौधे रोपकर की गई, जिन्हें बाँस से बनी गेबियन संरचनाओं से सुरक्षित किया गया है। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य संतोष कुमार, वॉटरबैंक फाउंडेशन के अध्यक्ष साकेत कुमार, छात्र-छात्राएँ और स्थानीय लोग मौजूद रहे।
स्थानीय प्रजाति के वृक्षों को संरक्षित करने की योजना
इस मिशन के तहत नेतरहाट क्षेत्र में स्थानीय प्रजाति के पेड़-पौधों को संरक्षित करने और जंगल की आग जैसी चुनौतियों से निपटने की योजना बनाई गई है।
पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बाँस से बने गेबियन संरचनाओं का उपयोग किया जा रहा है, जिससे नवरोपित वृक्षों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
स्थानीय समुदाय को जोड़ने की पहल
वॉटरबैंक फाउंडेशन ने नेतरहाट में एक बैम्बू प्राइमरी प्रोसेसिंग यूनिट भी स्थापित की है। यहाँ स्थानीय समुदाय को बाँस आधारित फर्नीचर, हस्तशिल्प और अन्य उपयोगी वस्तुओं के निर्माण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे सतत आजीविका के अवसर पैदा किए जा सकें।
इस अभियान के तहत, स्थानीय लोग सूखे पत्तों को एकत्र कर जैविक खाद बना सकेंगे, जिससे पौधों को प्राकृतिक पोषण मिलेगा।
बाटरवॉटर मिशन: जैविक खाद के बदले बाँस की कुर्सी
पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए “BarterWATER” अभियान भी शुरू किया गया है। इस पहल के तहत, 100 किलोग्राम जैविक खाद के बदले बाँस से बनी एक कुर्सी या स्टूल दिया जाएगा।
वनाग्नि से बचाव की कोशिश
झारखंड में जंगल की आग एक बड़ी समस्या रही है, जिससे प्राकृतिक वनस्पति प्रभावित होती है। इस अभियान के तहत सूखे पत्तों का सदुपयोग कर उन्हें जैविक खाद में बदला जाएगा, जिससे वनाग्नि की घटनाओं को कम किया जा सके।
नेतरहाट और चेरापूंजी में समानता?
वॉटरबैंक फाउंडेशन के अध्यक्ष साकेत कुमार ने कहा, “हम चेरापूंजी (मेघालय) में भी कार्य कर रहे हैं, जहाँ जल संकट और वनाग्नि के कारण यह ‘रेन डेजर्ट’ में बदल चुका है। नेतरहाट भी एक पठारी क्षेत्र है और यहाँ भी जलवायु संकट की चुनौतियाँ मौजूद हैं। हमारा प्रयास है कि नेतरहाट को भी इस स्थिति से बचाया जाए।”
छात्रों की भागीदारी से मिलेगा अभियान को बल
नेतरहाट आवासीय विद्यालय के प्रधानाचार्य संतोष कुमार ने कहा, “छात्रों ने बाँस के गेबियन लगाकर इस अभियान की शुरुआत की है। आने वाले तीन वर्षों तक यह अभियान जारी रहेगा और इसमें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता है।”
महत्वपूर्ण तिथियाँ और आगामी योजनाएँ
- 24 मार्च 2025 (विश्व जल दिवस): इस दिन 108 पौधे लगाए जाएंगे और विद्यालय के प्रेक्षागृह में संकल्प सभा आयोजित होगी।
- 24 अप्रैल 2025 (विश्व पृथ्वी दिवस): इस दिन 1,008 पौधे लगाए जाएंगे, जिसमें स्थानीय लोग, छात्र और पर्यटक शामिल होंगे।
स्थानीय लोगों से सहयोग की अपील
वॉटरबैंक फाउंडेशन ने नेतरहाट के निवासियों से अपील की है कि वे जैविक खाद बनाने में सहयोग करें और सूखे पत्तों को एकत्र कर इस अभियान को सफल बनाएं।