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रांची विश्वविद्यालय का 38वां दीक्षांत समारोह: राज्यपाल ने छात्रों को किया संबोधित

रांची विश्वविद्यालय के 38वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने छात्रों को दीक्षांत उपाधि प्रदान की। उन्होंने शिक्षा, शोध, नवाचार, और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया और झारखंड के गौरवशाली इतिहास को याद रखने का संदेश दिया।

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रांची: रांची विश्वविद्यालय में आयोजित 38वें दीक्षांत समारोह में माननीय राज्यपाल-सह-विश्वविद्यालय के कुलाधिपति ने छात्रों को संबोधित करते हुए उन्हें उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रेरित किया। इस समारोह में कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा, सीनेट व सिंडिकेट के सदस्यगण, शिक्षकगण, अभिभावक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

अपने अभिभाषण में राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि यह केवल डिग्री प्राप्त करने का अवसर नहीं, बल्कि उनके परिश्रम, संघर्ष और सपनों की परिणति का उत्सव है। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान अर्जन तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के प्रति संवेदनशील बनने की प्रक्रिया भी है।

उन्होंने विशेष रूप से बेटियों की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज के समय में लड़कियाँ हर क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही हैं। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सफलता को रेखांकित करते हुए उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर बल दिया।

राज्यपाल ने अनुसंधान और नवाचार को झारखंड के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि स्थानीय समस्याओं के समाधान हेतु अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण, जल प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में शोध को आवश्यक बताते हुए उन्होंने विद्यार्थियों से इन विषयों पर ध्यान देने का आह्वान किया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह नीति युवाओं को व्यावहारिक ज्ञान, कौशल विकास और शोध में उत्कृष्टता की ओर अग्रसर कर रही है। उन्होंने ‘न्यू इंडिया’ के संकल्प का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों से आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया।

राज्यपाल ने झारखंड की वीर भूमि को नमन करते हुए कहा कि भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव, नीलांबर-पीतांबर जैसे वीरों के बलिदान को सदैव याद रखा जाना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए राष्ट्रकवि दिनकर की पंक्तियाँ उद्धृत कीं और कहा कि मेहनत और आत्मविश्वास के बिना कोई भी बड़ा लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता।

समारोह के अंत में उन्होंने सभी छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को शुभकामनाएँ देते हुए उनसे अपनी जड़ों से जुड़े रहने और झारखंड के गौरवशाली इतिहास को सहेजने की अपील की। समारोह में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गईं और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।

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