रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सिरमटोली सरना स्थल आंदोलन और पॉलिटेक्निक कॉलेजों की मान्यता का मामला जोरशोर से उठा। इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। भाजपा विधायक सीपी सिंह ने सिरमटोली सरना स्थल आंदोलन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि फ्लाईओवर के रैंप के कारण सरहुल शोभायात्रा प्रभावित हो सकती है, इसलिए इस मामले में सरकार को तत्काल समाधान निकालना चाहिए।
सरहुल धूमधाम से मनेगा – सीएम हेमंत सोरेन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि उन्हें सामाजिक संगठनों से पूरे मामले की जानकारी मिली है और लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने आश्वस्त किया कि “सरहुल मनेगा और बढ़िया से मनेगा।” बता दें कि सिरमटोली-मेकॉन फ्लाईओवर के रैंप से पूजा स्थल की गतिविधियां प्रभावित होने की आशंका को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इसी क्रम में सोमवार को केंद्रीय सरना स्थल सिरमटोली बचाव मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री और विधायकों के पुतले जलाए थे।
पॉलिटेक्निक कॉलेजों की मान्यता पर भी गरमाई बहस
झामुमो विधायक जिगा सुसारन होरो ने अपने विधानसभा क्षेत्र में बने पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थिति को लेकर सरकार से सवाल किया। उन्होंने पूछा कि कॉलेज को कब तक अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) से मान्यता मिलेगी और 2025-26 के सत्र की पढ़ाई कब से शुरू होगी।
तकनीकी शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने कॉलेज संचालन के लिए प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति कर दी है। जैसे ही AICTE का अप्रूवल मिलेगा, पठन-पाठन शुरू कर दिया जाएगा। अगर 2025-26 के सत्र की शुरुआत से पहले मान्यता मिल जाती है, तो उसी सत्र में पढ़ाई शुरू होगी, अन्यथा इसे 2027-28 तक टालना पड़ेगा।
नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर कसा तंज
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर विपक्ष से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि केंद्र सरकार पर भी जवाबदेही बनती है। उन्होंने सुझाव दिया कि विपक्षी सांसद केंद्र सरकार से बातचीत कर कॉलेज को जल्द मान्यता दिलाने में सहयोग करें।
इस पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने जवाब देते हुए कहा कि AICTE एक स्वतंत्र संस्था है और यह मामला 2022 से लंबित है। उन्होंने राज्य सरकार पर ढिलाई का आरोप लगाते हुए कहा कि “अगर सही प्रयास किए जाते तो यह मामला अब तक सुलझ चुका होता।”
मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 1,700 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, लेकिन यूजीसी और AICTE जैसी स्वतंत्र संस्थाओं की नीतियां अक्सर राज्य सरकारों और स्थानीय छात्रों के खिलाफ जाती हैं। सरकार द्वारा AICTE को भेजे गए पत्रों की प्रतियां नेता प्रतिपक्ष और संबंधित विधायक को मुहैया कराई जाएंगी।